Saturday, 30 November 2024

BASHIR BADR.. GHAZAL.. WOH KHUSHBUON KA BADAN CHAANDNI KA SAYA HAI....

वो ख़ुशबुओं का बदन चाँदनी का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है 

In fragrant shades her body is moonshine. 
Very dear to me but yes, she isn't mine. 

उतर भी आओ कभी आस्माँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है 

Step down the ladder from yonder skies. 
God has created you for my use, fine !

कहाँ से आई ये ख़ुशबू ये घर की ख़ुशबू है 
इस अजनबी के अंधेरे में कौन आया है 

Where from did it arise, it's fragrance of home. 
As dark shade of stranger, who has come in time?

महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से 
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है

Earth is fragrant with moonlight flowers. 
For someone 's love He smiles on cloud nine. 

उसे किसी की मोहब्बत का ए'तिबार नहीं 
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है 

He doesn't believe in anyone 's love. 
Probably the world has exacted it's fine. 

तमाम उम्र मिरा दिल इसी धुएँ में घुटा
वो इक चराग़ था मैंने उसे बुझाया है

Life long my heart got stuffed in smoke. 
This lamp glowed, I stifled it's shine. 







No comments:

Post a Comment