Monday, 16 December 2024

ताज महल. साहिर लुधियानवी

ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही
तुझ को इस वादी-ए-रंगीं से अक़ीदत ही सही
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से

Taj may be a promise of love for you
This valley of colours you may regard too.
My beloved! Meet me somewhere else.

बज़्म-ए-शाही में ग़रीबों का गुज़र क्या म'अनी
सब्त जिस राह पे हों सितवत-ए-शाही के निशाँ
उस पे उल्फ़त भरी रूहों का सफ़र क्या म'अनी
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से

In this imperial gathering, poor have no place. 
All the way are imperial imprints to trace. 
How can loving souls ever find some space? 
My beloved! Meet me somewhere else 

मेरी महबूब! पस-ए-पर्दा--ए-तशहीर-ए-वफ़ा
तूने सितवत के निशानों को तो देखा होता
मुर्दा शाहों के मक़ाबिर से बहलने वाली
अपने तारीक मकानों को तो देखा होता
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

My love! Bebind curtain of exhibited loyalty 
Should have noticed imperial stamps, O you ! 
Lured by the tombs of dead emperors here
You should have seen our dark homes too. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

अनगिनत लोगों ने दुनिया में मोहब्बत की है
कौन कहता है कि जज़्बे न थे सादिक़ उन के
लेकिन उन के लिए तशहीर का सामान नहीं 
क्यों कि वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़लिस थे
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

 Countless people have loved in the world. 
Who claims their feelings were not pure? 
But they lacked the material to show off. 
Because like us, they  were poor for sure. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

ये इमारात-ओ-मक़ाबिर ये फ़सीलें ये हिसार 
मुतलक़-उल-हुक्म शहन्शाहों की अज़्मत के सुतूँ
सीना-ए-दहर के नासूर हैं कोहना नासूर
इन में शामिल है तिरे और मिरे अजदाद का ख़ूँ
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

These tomb buildings, boundaries of fort. 
Pillars of dictatorial glory which report. 
 Wounds, festering wounds on chest of time! 
With blood of our ancestors mingled sublime. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

मेरी महबूब! उन्हें भी तो मोहब्बत होगी
जिन की सन्नाई ने बख़्शी है इसे शक्ल-ए-जमील
उन के प्यारों के मक़ाबिर रहे बे-नाम-ओ-नमूद
आज तक उन पे जलाई न किसी ने कन्दील
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

O my beloved! They must have loved too. 
Whose craft gave a thing of beauty to you. 
Graves of their loved ones are unknown. 
None has  ever kindled a candle there on. 
My beloved! Meet me somewhere else 

ये चमनज़ार ये जमना का किनारा ये महल
ये मुनक़्क़श दर-ओ-दीवार ये महराब ये ताक़
इक शहन्शाह ने दौलत का सहारा लेकर 
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

These gardens, palaces on Jamuna bank. 
These carved walls, minerettes, the flank. 
Supported by money an emperor had done. 
Humiliated love of us poor, made public fun. 
My beloved! Meet me somewhere else. 







Friday, 13 December 2024

RAVI MAUN.. GHAZAL. DUUR SE AATI SADAA DETI HAI DASTAK DIL PAR....

दूर से आती सदा देती है दस्तक दिल पर
याद आते हैं मुझे झूले ठिठोली वो शजर

आसमाँ ऊँचा बहुत गहरा समंदर इतना
दोनों यकरंग ही हैं इसलिए हैरान बशर

इतना शर्मिंदा हूँ इंसान की करतूतों से
कैसे पहचानूँगा शैतान अगर आए नज़र 

यूँ तो इक उम्र मिरी बीती है क़स्बों में 'मौन'
कैसे भूलूँगा भला गाँव की सुनसान डगर? 

रवि मौन... ग़ज़ल ...ज़िंदगी तुझ से बिछड़ के भी तो गुज़री है मगर....

ज़िन्दगी तुझ से बिछड़ के भी तो गुज़री है मगर
किस को समझाऊँ कि ये कैसे कटा मेरा सफ़र

दूर से आती सदा देती है दस्तक दिल पर
याद आते हैं मुझे झूले, ठिठौली, वो शजर

आसमाँ ऊँचा बहुत, गहरा समन्दर इतना
दोनों यकरंग ही हैं, इसलिए हैरान बशर

इतना शर्मिंदा हूँ इंसान की करतूतों पर
कैसे पहचानूँगा, शैतान अगर आया नज़र

यूँ तो इक उम्र मेरी बीती है क़स्बों में 'मौन'
 कैसे भूलूँगा भला गाँव की सुनसान डगर 

Tuesday, 10 December 2024

BASHIR BADR... COUPLETS

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

टैग्ज़ : इश्क़ और 7 अन्य
न जी भर के देखा न कुछ बात की

बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
टैग्ज़ : आरज़ू और 5 अन्य

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

टैग्ज़ : इश्क़ और 5 अन्य

ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मी
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
टैग्ज़ : ज़िंदगी और 1 अन्य

बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता

टैग्ज़ : फ़ेमस शायरी और 1 अन्य
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
टैग्ज़ : अम्न और 5 अन्य

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

टैग्ज़ : इश्क़ और 2 अन्य
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
टैग्ज़ : आदमी और 2 अन्य

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

टैग्ज़ : फ़ेमस शायरी और 2 अन्य
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
टैग : दिल

ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली
टैग्ज़ : इश्क़ और 2 अन्य

इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो
टैग्ज़ : फ़ेमस शायरी और 2 अन्य

तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो

टैग्ज़ : इश्क़ और 2 अन्य
हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है
टैग्ज़ : उदासी और 2 अन्य

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा

टैग्ज़ : इश्क़ और 1 अन्य
हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा
जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
टैग : हुस्न

पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा

टैग्ज़ : इश्क़ और 2 अन्य
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
टैग्ज़ : घमंड और 3 अन्य

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में

टैग : फ़साद
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
टैग्ज़ : ग़म और 2 अन्य

इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं
तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं

टैग्ज़ : आदमी और 1 अन्य
वो चेहरा किताबी रहा सामने

बड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते

टैग : बचपन
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
टैग्ज़ : दुनिया और 2 अन्य

कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता

टैग्ज़ : आँख और 1 अन्य
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
टैग्ज़ : रोमांटिक और 1 अन्य

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

टैग्ज़ : इंसान और 1 अन्य
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत
टैग्ज़ : अम्न और 3 अन्य

दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे

टैग्ज़ : दुशमनी और 1 अन्य
भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले
न कभी हमारे क़दम बढ़े न कभी तुम्हारी झिजक गई
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है
टैग्ज़ : दरिया और 2 अन्य

अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे

ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखाई न दे

टैग्ज़ : एहसास और 1 अन्य
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

इसी शहर में कई साल से मिरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उन का कोई पता नहीं

महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है

टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा

कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए
टैग्ज़ : आसमान और 2 अन्य

न तुम होश में हो न हम होश में हैं
चलो मय-कदे में वहीं बात होगी

टैग्ज़ : नशा और 1 अन्य
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
टैग्ज़ : मानसिक स्वास्थ्य और 1 अन्य

बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम
मुझे पता चला वो कितनी ख़ूबसूरत है

टैग्ज़ : महबूब और 1 अन्य
दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है
जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है
टैग्ज़ : दिल और 1 अन्य

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है

टैग्ज़ : ज़िंदगी और 2 अन्य
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
बेवफ़ाई कभी कभी करना
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य

एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला
जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं

टैग्ज़: औरत और 1 अन्य
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ
आँखें मिरी भीगी हुई चेहरा तिरा उतरा हुआ
टैग्ज़: आँख और 3 अन्य

काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के
दीवाना बे-पढ़े-लिखे मशहूर हो गया

टैग: किताब
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
कई साल ब'अद मिले हैं हम तेरे नाम आज की शाम है
टैग्ज़: दोस्त और 2 अन्य

गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा

उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है

टैग्ज़: इश्क़ और 1 अन्य
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी
टैग्ज़: इश्क़ और 2 अन्य

रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर
उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा

टैग: मौत
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
टैग: मंज़िल

कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा
मुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता है

टैग: क़िस्मत
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है
टैग्ज़: इश्क़ और 2 अन्य

उस की आँखों को ग़ौर से देखो
मंदिरों में चराग़ जलते हैं

टैग: आँख
मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूँ
टैग: दुश्मन

अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया

मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का
मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है

टैग: बेकसी
चाँद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ पर
छत पे आ जाओ मिरा शेर मुकम्मल कर दो
टैग: महबूब

तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बा'द ये मौसम बहुत सताएगा

टैग्ज़: विदाई और 1 अन्य
कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते
किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते
टैग्ज़: घर और 1 अन्य

बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला

टैग: फ़ासला
लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे
जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूँ
टैग्ज़: आवाज़ और 1 अन्य

ये एक पेड़ है आ इस से मिल के रो लें हम
यहाँ से तेरे मिरे रास्ते बदलते हैं

टैग: विदाई
मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे
टैग्ज़: इजाज़त और 2 अन्य

तिरी आरज़ू तिरी जुस्तुजू में भटक रहा था गली गली
मिरी दास्ताँ तिरी ज़ुल्फ़ है जो बिखर बिखर के सँवर गई

टैग्ज़: आरज़ू और 1 अन्य
तुम अभी शहर में क्या नए आए हो
रुक गए राह में हादसा देख कर
टैग्ज़: फ़साद और 1 अन्य

मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ

टैग: शाम
पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
हम जवाब क्या देते खो गए सवालों में
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे

कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे
ख़ुदा की उस के गले में अजीब क़ुदरत है

वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है
टैग्ज़: आवाज़ और 1 अन्य

रात का इंतिज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या नहीं होता

हम दिल्ली भी हो आए हैं लाहौर भी घूमे
ऐ यार मगर तेरी गली तेरी गली है

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा

वो जिन के ज़िक्र से रगों में दौड़ती थीं बिजलियाँ
उन्हीं का हाथ हम ने छू के देखा कितना सर्द है

टैग: मौत
मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी

किराए के घर थे बदलते रहे
टैग्ज़: दुशमनी और 2 अन्य

फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा

टैग्ज़: ज़ुल्फ़ और 1 अन्य
सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को लाए थे

इक हम ही ऐसे थे कि हमारा ख़ुदा न था
टैग: ख़ुदा

उस ने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
मुद्दतों बअ'द मिरी आँखों में आँसू आए

नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
ये मोहब्बतों के चराग़ हैं इन्हें नफ़रतों की हवा न दे

इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं
ये आग लगाते हैं बुझाने नहीं आते

तहज़ीब के लिबास उतर जाएँगे जनाब
डॉलर में यूँ नचाएगी इक्कीसवीं सदी

अजीब रात थी कल तुम भी आ के लौट गए
जब आ गए थे तो पल भर ठहर गए होते

टैग्ज़: इश्क़ और 1 अन्य
हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके

कोई कहानी सुनाओ बड़ा अँधेरा है
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे

इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
मैं ने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी

कोई आहट न हो दर पर मिरे जब तू आए
टैग्ज़: आहट और 3 अन्य

उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं
ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं

टैग्ज़: आँख और 1 अन्य
कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िंदगी ने कह दिया

तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा
टैग: ज़िंदगी

यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं
अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते

टैग: दर्द
दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे

उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे
टैग: दुआ

मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ
कोई मासूम क्यूँ मेरे लिए बदनाम हो जाए

वो इत्र-दान सा लहजा मिरे बुज़ुर्गों का
रची-बसी हुई उर्दू ज़बान की ख़ुश्बू

टैग: उर्दू
चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना

बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा

परिंदा आसमाँ छूने में जब नाकाम हो जाए
टैग: परिंदा

कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की

टैग: मुसाफ़िर
इक दीवार पे चाँद टिका था

मैं ये समझा तुम बैठे हो
टैग: चाँद

हम ने तो बाज़ार में दुनिया बेची और ख़रीदी है
हम को क्या मालूम किसी को कैसे चाहा जाता है

अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैं
आते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते

टैग: दोस्त
कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो

मुझे एक रात नवाज़ दे मगर इस के बाद सहर न हो
टैग्ज़: इश्क़ और 3 अन्य

वो बड़ा रहीम ओ करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मिरी दुआ में असर न हो

टैग: दुआ
किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी

ज़मीन तेरी ख़ुदा मोतियों से नम कर दे
टैग्ज़: आँख और 1 अन्य

नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही
ये खिड़की खोलो ज़रा सुब्ह की हवा ही लगे

टैग्ज़: रौशनी और 1 अन्य
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से

कहीं भी जाऊँ मिरे साथ साथ चलते हैं
मुझ से क्या बात लिखानी है कि अब मेरे लिए

कभी सोने कभी चाँदी के क़लम आते हैं
टैग: सियासत

फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ
दुनिया को यूँ मिटाएगी इक्कीसवीं सदी

टैग: दुनिया
ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएँगे

रोएँगे बहुत लेकिन आँसू नहीं आएँगे
इजाज़त हो तो मैं इक झूट बोलूँ

मुझे दुनिया से नफ़रत हो गई है
मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियाँ

जो कहा नहीं वो सुना करो जो सुना नहीं वो कहा करो
टैग्ज़: इश्क़ और 1 अन्य

मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न की
बिखर गया हूँ तो अब रेत से उठाए मुझे

टैग्ज़: आँख और 1 अन्य
रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा

जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में
टैग्ज़: इश्क़ और 3 अन्य

बिछी थीं हर तरफ़ आँखें ही आँखें
कोई आँसू गिरा था याद होगा

टैग्ज़: आँख और 1 अन्य
नाम पानी पे लिखने से क्या फ़ाएदा

लिखते लिखते तिरे हाथ थक जाएँगे
मुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई

इस लिए मेरे कमरे में इतनी ठंडक रहती है
टैग्ज़: इश्क़ और 2 अन्य

वो इंतिज़ार की चौखट पे सो गया होगा
किसी से वक़्त तो पूछें कि क्या बजा होगा

टैग: इंतिज़ार
वो शख़्स जिस को दिल ओ जाँ से बढ़ के चाहा था

बिछड़ गया तो ब-ज़ाहिर कोई मलाल नहीं
टैग्ज़: इश्क़ और 2 अन्य

हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों में
अजब माँ हूँ कोई बच्चा मिरा ज़िंदा नहीं रहता

टैग: शेर
बहुत दिनों से है दिल अपना ख़ाली ख़ाली सा

ख़ुशी नहीं तो उदासी से भर गए होते
मंदिर गए मस्जिद गए पीरों फ़क़ीरों से मिले

इक उस को पाने के लिए क्या क्या किया क्या क्या हुआ
प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँ

मय-कदे में कोई छोटा न बड़ा जाम उठा
टैग: मय-कदा

हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा

टैग्ज़: क़िस्मत और 2 अन्य
ये परिंदे भी खेतों के मज़दूर हैं

लौट के अपने घर शाम तक जाएँगे
टैग: परिंदा

मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
आग से आग बुझा फूल खिला जाम उठा

तुम्हारे घर के सभी रास्तों को काट गई
हमारे हाथ में कोई लकीर ऐसी थी

यहाँ एक बच्चे के ख़ून से जो लिखा हुआ है उसे पढ़ें
तिरा कीर्तन अभी पाप है अभी मेरा सज्दा हराम है

टैग: फ़साद
वो अब वहाँ है जहाँ रास्ते नहीं जाते

मैं जिस के साथ यहाँ पिछले साल आया था
टैग: श्रद्धांजलि

इक शाम के साए तले बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं

मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
रात के मुसाफ़िर थे खो गए उजालों में

उसे पाक नज़रों से चूमना भी इबादतों में शुमार है
कोई फूल लाख क़रीब हो कभी मैं ने उस को छुआ नहीं

मिरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में
वही दुख-भरी ज़मीं है वही ग़म का आसमाँ है

न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आएगा

टैग: दिल
गले में उस के ख़ुदा की अजीब बरकत है

वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है
दादा बड़े भोले थे सब से यही कहते थे

कुछ ज़हर भी होता है अंग्रेज़ी दवाओं में
हँसो आज इतना कि इस शोर में

सदा सिसकियों की सुनाई न दे
लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए

यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है
टैग्ज़: फ़ेमस शायरी और 1 अन्य

दिन में परियों की कोई कहानी न सुन
जंगलों में मुसाफ़िर भटक जाएँगे

टैग: मुसाफ़िर
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे

और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे
टैग: दिल

मुझे लगता है दिल खिंच कर चला आता है हाथों पर
तुझे लिक्खूँ तो मेरी उँगलियाँ ऐसी धड़कती हैं

कोई फूल सा हाथ काँधे पे था
मिरे पाँव शो'लों पे जलते रहे

टैग्ज़: इश्क़ और 1 अन्य
ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना

तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है
वो माथा का मतला हो कि होंठों के दो मिसरे

बचपन से ग़ज़ल ही मेरी महबूबा रही है
कोई बादल हो तो थम जाए मगर अश्क मिरे

एक रफ़्तार से दिन रात बराबर बरसे
टैग: आँसू

मेरा शैतान मर गया शायद
मेरे सीने पे सो रहा है कोई

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे हम ने लिखा कुछ भी नहीं

मैं तमाम तारे उठा उठा के ग़रीब लोगों में बाँट दूँ
वो जो एक रात को आसमाँ का निज़ाम दे मिरे हाथ में

हयात आज भी कनीज़ है हुज़ूर-ए-जब्र में
जो ज़िंदगी को जीत ले वो ज़िंदगी का मर्द है

टैग: ज़िंदगी
महलों में हम ने कितने सितारे सजा दिए

लेकिन ज़मीं से चाँद बहुत दूर हो गया
ये ज़ाफ़रानी पुलओवर उसी का हिस्सा है

कोई जो दूसरा पहने तो दूसरा ही लगे
टैग: फ़ेमस शायरी

मैं चुप रहा तो और ग़लत-फ़हमियाँ बढ़ीं
वो भी सुना है उस ने जो मैं ने कहा नहीं

पीछे पीछे रात थी तारों का इक लश्कर लिए
रेल की पटरी पे सूरज चल रहा था रात को

पहचान अपनी हम ने मिटाई है इस तरह
बच्चों में कोई बात हमारी न आएगी

दिल उजड़ी हुई एक सराए की तरह है
अब लोग यहाँ रात जगाने नहीं आते

टैग: दिल
कमरे वीराँ आँगन ख़ाली फिर ये कैसी आवाज़ें

शायद मेरे दिल की धड़कन चुनी है इन दीवारों में
टैग: दिल

गुलाबों की तरह शबनम में अपना दिल भिगोतें हैं
मोहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं

टैग: मोहब्बत
यूँ तरस खा के न पूछो अहवाल

तीर सीने पे लगा हो जैसे
टैग: तीर

फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
इस में तिरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है

जिस को देखो मिरे माथे की तरफ़ देखता है
दर्द होता है कहाँ और कहाँ रौशन है

ग़ज़लों ने वहीं ज़ुल्फ़ों के फैला दिए साए
जिन राहों पे देखा है बहुत धूप कड़ी है

सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर
कहानियों के पुर-असरार लब तुम्हारी तरह

सोचा नहीं अच्छा-बुरा देखा-सुना कुछ भी नहीं
माँगा ख़ुदा से रात-दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

सुना के कोई कहानी हमें सुलाती थी
दुआओं जैसी बड़े पान-दान की ख़ुशबू

टैग: पान
इक 'मीर' था सो आज भी काग़ज़ में क़ैद है

हिन्दी ग़ज़ल का दूसरा अवतार मैं ही हूँ
टैग: मीर तक़ी मीर

Saturday, 7 December 2024

CHOSEN COUPLETS OF MIR TAQI MIR

मिरे सलीके से, मेरी निभी मुहब्बत में
तमाम उम्र, मैं नाकामियों से काम लिया

My etiquette could cope with my love. 
Lifelong I sided failures over 'n above. 

कुछ नहीं सूझता हमें, उस बिन
शौक़ ने हमको बेहवास किया

Without her, I can't think of anything. 
My hobby makes me a delirious thing. 

देगी न चैन लज़्ज़त-ए-ज़ख़्म उस शिकार को 
जो खा के तेरे हाथ की तलवार, जाएगा
*
Pleasure of wound won't grant victim solace. 
Who was hit by your sword with  such a grace. 

उनने तो मुझको झूंटे भी पूछा न एक बार
मैंने उसे हज़ार जताया, तो क्या हुआ

She didn't enquire casually once as afterthought. 
I told her a thousand times but so what. 

दिल की वीरानी का क्या मज़्कूर है
यह नगर सौ मरतबा लूटा गया
*
What to talk about the solitude of heart? 
This city was looted many times from start. 

सख़्त काफ़िर था जिनने पहले मीर
मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया
*
O Mir! He was an infidel in every part. 
Who adopted religion of love at start. 

मह ने आ सामने, शब याद दिलाया था उसे
फिर वह ता सुब्ह मिरे जी से भुलाया न गया
*
Moon came and reminded of her at night. 
I could not forget her till morn' all night. 

गुल ने हरचन्द कहा, बाग़ में रह, पर उस बिन
जी जो उचटा, तो किसी तरह लगाया न गया 
*
Though flower asked me to stay, but that day. 
Heart got perturbed, couldn't be set 
that day. 

शहर-ए-दिल आह अजब जाय थी, पर उसके गए
ऐसा उजड़ा कि किसी तरह बसाया न गया
*
Heart city was strange site but but for her. 
It was ruined, couldn't be set right any way. 

गलियों में अब तलक तो, मज़्कूर है हमारा
अफ़सान-ए-मुहब्बत, मशहूर है हमारा
*
Till now, my reference prevails in street. 
The tale of my love is so famous a feat. 

दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें 
था कल तलक दिमाग़ जिन्हें ताज-ओ-तख़्त का
*
You can't collect even alms on Delhi street. 
It was proud of empire and grandiose feat. 

मेरे रोने की हक़ीक़त जिसमें थी
एक मुद्दत तक वह काग़ज नम रहा

The truth of my cries was there in. 
That paper remained wet within. 

रात हैरान हूं, कुछ चुप ही मुझे लग गयी मीर
दर्द-ए-पिन्हां थे बहुत, पर लब-ए-इज़हार न था

Astonished, O Mir! Silence has taken in handl. 
Hidden were many griefs, lips didn't extend . 

आए अगर बहार तो अब हम को क्या सबा
हमसे तो आशियां भी गया और चमन गया

Even if spring arrives, what to me O breeze?
My nest is gone and the garden under seize. 

FAMOUS COUPLETS OF URDU POETESS - ES

मैं हूँ वो नंग-ए-ख़ल्क़ कि कहती फिरे है ख़ाक
इसको बना के क्यूँ मिरी मिट्टी ख़राब की
ज़िया बेग़म ज़िया
*
So downtrodden am I, dust goes places to tell in name. 
Why shaped him out of me and put my name to shame.

बरसों ग़म-ए-गेसू में गिरफ़्तार तो रक्खा
अब कहते हो क्या तुम ने मुझे मार तो रक्खा

Kept captive in tress grief for years alright. 
Now claim to have killed me my dears alright. 

कुछ बे-अदबी और शब-ए-वस्ल नहीं की
हाँ यार के रुख़्सार पे रुख़्सार तो रक्खा

No misconduct was done on first night. 
Well, my cheek was on his cheek,cheers alright. 

इतना भी ग़नीमत है तिरी तरफ़ से ज़ालिम
खिड़की न रखी रौज़न-ए-दीवार तो रक्खा

It is enough O murderer from your side. 
Not a window but a hole in wall clears alright. 

वो ज़ब्ह करे या न करे ग़म नहीं इस का
सर हम ने तह-ए-ख़ंजर-ए-ख़ूँ-ख़्वार तो रक्खा

Whether or not he murders, I won't grieve. 
My head over his blooded dagger bears alright 

इस इश्क़ की हिम्मत के मैं सदक़े हूँ कि 'बेगम'
हर वक़्त मुझे मरने पे तय्यार तो रक्खा

I am proud of the courage of love, O 'Begham'! 
It kept me ready for death, no fears, alright. 
BEGHUM LAKHNAVI (Daughter of Mir Taqi Mir)

गुल के होने की तवक़्क़ो पे जिए बैठी है
हर कली जान को मुट्ठी में लिए बैठी है 

Hoping to be a flower is each bud. 
Keeping life in it's power is each bud. 

उन को आँखें दिखा दे टुक साक़ी 
माँगते हैं जो बार - बार शराब! 

O bargirl ! With your eyes you  scold. 
Who ask for drinks so often, are  bold. 

दिल हो गया है ग़म से तिरे दाग़दार ख़ूब 
फूला है क्या ही जोश में ये लाला-ज़ार ख़ूब 
 
My heart is so studded by grief scars.
Proud of bed of garden of Tulip stars. 
MAH LAKHA BAI CHANDA, HYDERABAD, 1768



सुब्ह होती है शाम होती है 

उम्र यूँही तमाम होती है 

मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
टैग्ज़ : फ़ेमस शायरी और 1 अन्य 
 
 
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर 

आदत इस की भी आदमी सी है 

गुलज़ार
 
  
 
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद 

वक़्त कितना क़ीमती है आज कल 

शकील बदायूनी
टैग्ज़ : इश्क़ और 3 अन्य 
 
 
सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं 

गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं 

मीर हसन
टैग्ज़ : प्रसिद्ध मिसरे और 1 अन्य 
 
 
इक साल गया इक साल नया है आने को 

पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को 

इब्न-ए-इंशा
टैग : नया साल 
 
 
जब आ जाती है दुनिया घूम फिर कर अपने मरकज़ पर 
तो वापस लौट कर गुज़रे ज़माने क्यूँ नहीं आते 
इबरत मछलीशहरी
 
 
 
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना 

हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है 

बशीर बद्र
टैग्ज़ : दरिया और 1 अन्य 
  
 
सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें 

क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता


वो आफ़्ताब-ए-हुस्न रहा मरकज़-ए-निगाह 
था देखना मुहाल मगर देखते रहे

That beautiful sun was the center of view. 
Though difficult it was but I kept her in view. 

har chiiz nahīñ hai markaz par ik zarra idhar ik zarra udhar
nafrat se na dekho dushman ko shāyad vo mohabbat kar baiThe

allāh to sab kī suntā hai jur.at hai 'shakīl' apnī apnī
'hālī' ne zabāñ se uf bhī na kī 'iqbāl' shikāyat kar baiThe

SHAKEEL BADAYUNI 

Wednesday, 4 December 2024

BASHIR BADR.. GHAZAL.. AANSUON SE DHULII KHUSHI KI TARAH....

आँसुओं से धुली ख़ुशी की तरह
रिश्ते होते हैं शायरी की तरह

Washed with tears of pleasure, it's like. 
Relations are poetic treasure,it's like. 

हम ख़ुदा बन के आएँगे वरना
हम से मिल जाओ आदमी की तरह

I shall appear in the form of God. 
Or meet me as man at leisure, it's like. 

बर्फ़ सीने की जैसे- जैसे गली
आँख खुलती गई कली की तरह

As the ice in chest gradually melted. 
Eyes opened as bud stager,it's like. 

जब कभी बादलों में घिरता है
चाँद लगता है आदमी की तरह

Whenever the clouds surround it. 
Moon is man cut to measure,it's like. 

किसी रोज़न किसी दरीचे से 
सामने आओ रौशनी की तरह

Come as the light somehow before me
From door, window, embrasure,it's like. 

सब नज़र का फ़रेब है वर्ना 
कोई होता नहीं किसी की तरह

It's simply a fault of our vision. 
None is equal to other's measure,it's like

ख़ूबसूरत उदास ख़ौफ़ज़दा
वो भी है बीसवीं सदी की तरह

Beautiful, sad and frightened . 
She is twentieth century treasure,it's like

जानता हूँ कि एक दिन मुझको 
वो बदल देगा डायरी की तरह

I know that he will change me. 
Any day as a diary eraser,it's like. 














Tuesday, 3 December 2024

. युग उरोज तेरे भली.......

युग उरोज तेरे भली नित - नित अधिक बढ़ाय।
अब इन भुज लतिकान में ऐरी ये न समाय।

Your breast pair is nice, 
soar each day as price.
Now my entwining arms, 
can't confine these charms.

Transcreated by Ravi Maun 

BASHIR BADR.. GHAZAL.. BAAHAR NA JAO GHAR MEN RAHO TUM NASHE MEIN HO.....

बाहर न जाओ घर में रहो तुम नशे में हो
सो जाओ दिन को रात करो तुम नशे में हो

Stay at home, not out of sight, you are drunk. 
Sleep day long into the night, you are drunk. 

क्या दोस्तों ने तुम को पिलाई है रात भर 
अब दुश्मनों के साथ रहो तुम नशे में हो

Have the chums made you consume night long? 
Now stay with the enemies, you are drunk. 

दरिया के इख़्तिलाफ़ का अंजाम सोच लो 
लहरों के साथ - साथ बहो तुम नशे में हो 

Going against the stream is like being a chunk. 
Well, float with the waves now , you are drunk. 

बेहद शरीफ़ लोगों से कुछ फ़ासला रखो
पी लो मगर कभी न कहो तुम नशे में हो

Maintain distance with very cultured people. 
May drink, but never say, you are drunk. 

काग़ज़ का ये लिबास चराग़ों के शहर में 
थोड़ा सम्भल सम्भल के चलो तुम नशे में हो 

This papery apparel in the city of lamps! 
Take each step with care, you are drunk.