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Monday, 20 January 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई. या रब तू गिलम सिरिश्तः-ए-मन चि कुनम . ....2.

या रब तू गिलम सिरिश्तः- ए- मन चि कुनम
पुश्तम व कस्बम तू रिश्ता मन चि कुनम
हर नेको-बद कि अज मन आमद बवजूद
तू बर सरे-मन निविश्ता मन चि कुनम

या रब! मेरी मिट्टी को गूँधा तूने मेरा करना क्या
मेरी पीठ के सब छेद सीए तूने मेरा करना क्या 
हर अच्छाई और बुराई जिस से  मैं बावस्ता हूँ
मेरी किस्मत में तो लिक्खे तूने मेरा करना क्या 

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