Thursday, 23 January 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई मय ख़ुर्दन न शाद बूदन.....

मय ख़ुर्दन न शाद बूदन आईने-मनस्त
फ़ारिग़ बूदन ज़ कुफ़्रो दीने-मनस्त
गुफ़्तम अरूसेदह्र काबिते-तू चीस्त
शगुफ़्ता दिल ख़ुर्रमे-तू काबीने-मनस्त

 मय को पीना और ख़ुश रहना यही नियम है मेरा
फ़ारिग़ हूँ मैं कुफ़्रो - ओ-दीन से यही नियम है मेरा
मुँह दिखलाई क्या लोगी, पूछा दुनिया - दुल्हन से
तेरे दिल की ख़ुशी, मेह्र की रक़म, नियम है मेरा

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