Saturday, 25 January 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... रोज़े कि ज़ तू गुज़श्तः.....

रोज़े कि ज़ तू गुज़श्तः शुद याद मकुम
फ़र्दा कि नयामदस्त फ़रियाद मकुम
ज़ आइन्दः व बगुज़श्तः-ए-ख़ुद याद मकुम
हाले ख़ुश बाश  व उम्र बरबाद मकुम 


बीत गया है जो दिन उसको याद न कर
आने वाले कल की भी फ़रियाद न कर
आने वाले, बीते कल से, क्या मतलब
ख़ुश हो कर रह आज, उम्र बर्बाद न कर


No comments:

Post a Comment