Tuesday, 28 January 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... मय ख़ुर्दन-मन न अज़ बरा - ए-त्रस्त.....

मय ख़ुर्दने-मन न अज़ बरा - ए-तरबस्त
नबह्रे-फ़सादो तर्के-दीनो अदबस्त
ख़्वाहम कि ब बेख़ुदी बर आरम नफ़्से
मय ख़ुर्दनो-मस्त बूदनो-मा जो सबबस्त

मेरी मयकशी ऐश की ख़ातिर नहीं है
फ़साद या तर्के-दीं की ख़ातिर नहीं है
चाहता हूँ मिरी हर साँस बेख़ुदी में रहे
मेरी मयकशी का बस मक़सद यही है

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