मक्सूद ज़ जुम्लः आफ़रीनश मायेम
व र जिस्म ख़िरद ज हर बीनश मायेम
ईं दायरः-ए-जहाँ चू अंगुश्तरी अस्त
बे हेच शक़े-नक़्श नगीनश मायेम
इस सारी ख़ल्वत का मक्सद भी तो हम हैं
ख़िरद देखती है जिसको वो भी तो हम हैं
दुनिया का दायरा अगर अंगूठी है तो
बेशक उसमें जड़ा नगीना भी तो हम हैं
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