Thursday, 30 January 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... दर इश्क़ ज़ सदगूना मलामत बकुशम....

दर इश्क़ ज़ सदगूना मलामत बकुशम
वर बशिकनम ईं अह्द गरामत बकुशम 
गर उम्र वफ़ा कुन्द ज़फ़ाहा-ए-तुरा
बारे कम अजाँ कि ता कयामत बकुशम

इश्क़ में सौ गुने दुःख मैं सहता रहूँ 
ये अह्द तोड़ूँ तो पशेमाँ रहता रहूँ 
उम्र गर वफ़ा करे तो ये चाहत मिरी
ता कयामत मैं तिरे ज़ुल्म सहता रहूँ 

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