Tuesday, 21 January 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई बा नफ़्स हमेशा दर नबर्दम....

बा नफ़्स हमेशा दर नबर्दम् चि कुनम
व ज़ कर्दा-ए-खेशतन बदर्दम् चि कुनम
गीरम कि ज़ मन दल गुज़रानी ब करम
ज़ाँ शर्म कि दीदी चि कर्दम चि कुनम

हवस में मुब्तिला रहता हमेशा मैं क्या करूँ
जो करता हूँ रहूँ उससे पशीमाँ मैं क्या करूँ 
तिरी रहमत मुझे भी बख़्श देगी, जानता हूँ. 
तू करते देखता इससे पशीमाँ मैं क्या करूँ 

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