Poet of Hindi, Urdu, English, Bengali and Punjabi. I also translate gems of Urdu poetry. Orthopedic surgeon.
Friday, 28 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई... गुल गुफ़्त बे अज़ लक़ा-ए-मनरू-ए-नेस्त
Thursday, 27 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई... दर हेच सरे-नेस्त कि अस्रारे-नेस्त
Wednesday, 26 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई... बर रू-ए-तू ज़ुल्फ़ रा अक़ामत हवस अस्त...
Tuesday, 25 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई.... बुत गुफ़्त ब बुतपरस्त काय आबिदे-मा.....
Monday, 24 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई.... दर वादी-ए-ग़ैब चूँ दवीदन हवदस्त.....
Saturday, 22 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई.... तूरेस्त कि सद हज़ार मूसा दीदास्त
उमर ख़य्याम की रुबाई... सर दफ़्तरे-आलम मानी इश्क़ अस्त
Friday, 21 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई.... गर गुल न बूद नसीबे-मा ख़ार बस अस्त.... 1
Thursday, 20 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई.... बा ज़ुल्फ़े-तू गर दस्त दराज़ी करदम..... 41
Wednesday, 19 February 2025
AMIIR KHUSRU.... FIRST GHAZAL OF URDU LANGUAGE......
उमर ख़य्याम की रुबाई.... मिस्कीने-दिले-दर्दमन्दे-दीवानः-ए-मन.... 29
Tuesday, 18 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई... पाक अज़ अदम आमदेन व नापाक शुदेम..... 39
Monday, 17 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई...असरारे-अज़ल रा न तू दानी व न मन..... 27
Sunday, 16 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई.... क़ौमे मुतफ़ाक्किर अन्द दर मज़हब बी दीं.... 31
Saturday, 15 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई.... अज़ बादः शवद तकव्वुर अज़ सरहा कम.....
Friday, 14 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई.... दुनिया चू फ़नास्त मन बजुज़ फ़न न कुनम.... 30
Thursday, 13 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई...गुफ़्तम कि दिगर बादः-ए-गुलगूँ न ख़ुरम..... 26
Wednesday, 12 February 2025
उमर ख़य्याम की रुबाई.... ख़य्याम कि ख़ेमहा-ए-हिकमत मीदोख़्त.....25
Tuesday, 11 February 2025
खण्ड- क्या जीवन का अर्थ: (कग्गा 4-8)
खण्ड- क्या जीवन का अर्थ: (कग्गा 4-8)
4. क्या प्रपंच का अर्थ है, औ' क्या है जीवन?
इन दोनों के बीच का क्या है निज बंधन?
क्या है कोई अगोचर यहाँ, जिसने बनाया धाम?
इन्द्रियों का प्रमाण हम मानें क्या भोलेराम? ।।४।।
5. है देव क्या गहन अंधियारे गह्वर का एक नाम?
या जो न बूझे जाते उनको देते हम यह नाम?
रक्षक कोई जगत का तो इस गति का क्या काम?
क्या है जन्म, मृत्यु क्या? समझा भोलेराम ।।५।।
6. क्या है सृष्टि पहेली सुन्दर? जीवन समझ के पार |
कौन भला समझाए इसका अर्थ सह विस्तार |
सर्जनकर्ता एक तो भिन्न मानव क्यों अविराम?
जीवगति है अलग भला क्यों, बतला भोलेराम ।।६।।
7. जीवन का अधिनायक कौन, एकल या कि अनेक?
अंधबल कि विधि या पौरुष, या है धर्म की टेक?
ठीक हो अव्यवस्था का जाने कैसे आयाम?
तपन सहन करना ही जीव-गति क्या भोलेराम?।।७।।
8. क्रम व लक्ष्य के ध्यान से क्या, किया सृष्टि निर्माण?
या फिर हो कर दिग्भ्रमित, डाले इस में प्राण?
सर्जनकर्ता सृष्टि के यदि ममता के धाम |
जीव राशि को कष्ट भला क्यों होता भोलेराम?।।८।।
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