Friday, 28 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... गुल गुफ़्त बे अज़ लक़ा-ए-मनरू-ए-नेस्त

गुल गुफ़्त बे अज़ लक़ा-ए-मन रू-ए-नेस्त
चन्दीं    सितम   गुलाब   गर   बादे-चीस्त
बुलबुल ब ज़ुबान  हाल  बा ऊ  मी  गुफ़्त
यक रोज़  कि  ख़न्दीद  साले-बि  गिरीस्त


फूल बोला ऐसा हसीं चेहरा कहाँ होता है?
कह रहा गुलाब ये कि रूप वो भी खोता है 
बुलबुल इस हालत पर उनको बस ये बोला 
एक दिन का हँसने वाला एक साल रोता है


Flower said you can't find so lovely face 
Rose says loss of beauty it has to face.
The nightingale listened and so opined.
You laugh for a day, weep year long race

Thursday, 27 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... दर हेच सरे-नेस्त कि अस्रारे-नेस्त

दर   हेच    सरे-नेस्त   कि    अस्रारे-नेस्त
दिल रा ख़बर अज़ अन्दको-बिस्यारे नेस्त
हर   तायफ़ः    र   वन्द   राहे   दर    पेश
अल्लाह    रहे-इ'श्क़   रा   सालारे    नेस्त


कोई नहीं है  सर  ऐसा जिसमें  इसरार नहीं  है
या कोई दिल ऐसा जिसको   ख़बरे-यार नहीं है
रस्ता दिखलाने वाला हर दल को मिल जाता है
दिखलाए जो  प्रीत का रस्ता वो सालार नहीं  है

Wednesday, 26 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... बर रू-ए-तू ज़ुल्फ़ रा अक़ामत हवस अस्त...

बर रू-ए-तू ज़ुल्फ़ रा अक़ामत हवस अस्त
सर फ़ित्नः रूम रा क़ियामत  हवस   अस्त
ज़   अब्रू-ए-तू  मेहराब  नशीं  शुद  चश्मस्त
आँ काफ़िर  मस्त रा  इमामत  हवस  अस्त


ज़ुल्फ़ों को तेरे रुख़ पे ठहरने की तमन्ना 
रूम  के  दंगे को ख़त्म करने की तमन्ना
तेरी  भवों  के  मेहराब में  आँख बैठी है
मस्त काफ़िर को इमाम बनने की तमन्ना 

Tuesday, 25 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... बुत गुफ़्त ब बुतपरस्त काय आबिदे-मा.....

बुत गुफ़्त ब बुतपरस्त काय  आबिदे-मा
दानी च ज चि रू-ए-गश्तः-ए-साजिदे मा
बर  ज़  जमाले-ख़ुद   तजल्ली   कर्दास्त
आँ कस कि ज़ तुस्त  नाज़िरो-शाहिदे-मा


बुत बोला बुतपरस्त से जानता है क्यूँ आख़िर
बन  गया  है तू मेरा किसलिए साजिद, नासिर
उसके ही जमाल ने तो मुझे बख़्शी है तजल्ली 
इसी वजह से  बना है तू मिरा शाहिद, नाज़िर

Monday, 24 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... दर वादी-ए-ग़ैब चूँ दवीदन हवदस्त.....

दर  वादी-ए-ग़ैब  चूँ   दवीदन  हवसस्त
अज़  ऐब  कसाँ नज़र बुरीदन  हवदस्त
जी साँ कि मन अहवाले-जहाँ मी बीनम
दामन ज़  ज़मानः  कशा   देन  हवदस्त


वादी-ए-ग़ैब  में से यूँ उड़ना हवस ही है
ग़ैरों के ऐब  को यूँ  तकना  हवस ही  है
दुनिया के जो हालात नज़र आए हैं मुझे
दामन ज़माने से बचा रहना  हवस ही है

Saturday, 22 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... तूरेस्त कि सद हज़ार मूसा दीदास्त

तूरेस्त  कि सद  हज़ार  मूसा  दीदास्त
दैरेस्त  कि  सद  हज़ार  ईसा  दीदास्त
कस्रेस्त कि सद हज़ार क़ैसर बगुज़श्त
ताक़ेस्त कि सद हज़ार  कस्रा  दीदास्त


कोहे-तूर  ने लाखों  मूसा  देखे  हैं 
 गिरजे ने भी  लाखों ईसा  देखे हैं 
लाखों क़ैसर गुज़रे हैं इस महल से
लाखों महल ताक़ ने यहाँ  देखे  हैं 


उमर ख़य्याम की रुबाई... सर दफ़्तरे-आलम मानी इश्क़ अस्त

सर   दफ़्तरे-आलम  मानी   इश्क़   अस्त
सर   बैते-क़सीदः-ए-जवानी  इश्क़  अस्त
ऐ आँ कि ख़बर नदारी अज़ आलमे-इश्क़
ईं नुक़्तः बदाँ कि  ज़िन्दगानी इश्क़  अस्त



दुनिया में जो लिखा है उसका मानी ही इश्क़ है
ये शे'अर भी है, क़सीदः-ए-जवानी भी इश्क़ है
नावाक़िफ़ ही रहा है तू इस इश्क़ की दुनिया से
ऐ काश समझता ज़ीस्त की कहानी ही इश्क़ है


Friday, 21 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... गर गुल न बूद नसीबे-मा ख़ार बस अस्त.... 1

गर गुल न बूद नसीबे-मा ख़ार बस अस्त
व र नूर न मीरसद ब मा नार बस अस्त
गर सब्हः व सज्जादः-ओ-शैख़ी न बूद
नाक़ूसो-किलीसियाँ व ज़ुन्नार बस अस्त


ख़ार ही बहुत हैं गर गुल नहीं नसीब में
आग ही बहुत है गर नूर नहीं नसीब में
नहीं गर पास सज्जादः-ओ-शैख़ी, सब्हः
बुतवालों का जनेऊ औ' शंख है क़रीब में 

Thursday, 20 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... बा ज़ुल्फ़े-तू गर दस्त दराज़ी करदम..... 41

बा  ज़ुल्फ़े-तू  गर  दस्त  दराज़ी  करदम
अज़  रू-ए-हक़ीक़त न मजाज़ी  करदम
दर ज़ुल्फ़े-तू दीदम दिले-दीवानः-ए-ख़ेश
मन बा  दिले-ख़ेश दस्त  दराज़ी  करदम


 तेरी ज़ुल्फ़ों की तरफ़ जो हाथ बढ़ा है मेरा
हक़ीक़तन  कुछ न ग़लत काम हुआ है मेरा
अपने पागल दिल को जो देखा था ज़ुल्फ़ में 
जिससे हुई ज़्यादती, वो दिल ही रहा है मेरा



Wednesday, 19 February 2025

AMIIR KHUSRU.... FIRST GHAZAL OF URDU LANGUAGE......

ज़े हाले मिसकीं मकुन तग़ाफ़ुल 
दुराय नैना बनाय बतियाँ। 
कि ताबे-हिजरा न दारम् ऐ जां 
न लेहु काहे लगाय छतियाँ॥ 

Don't be unaware of my poor state. 
You see, don't see, just talk O mate ! 
I can't bear your departure O love. 
Why can I you embrace me O mate? 

शबाने-हिजराँ दराज़ चूं ज़ुल्फ़ो— 
रोज़े वसलत चूं उम्र कोताह। 
सखी पिया को जो मैं न देखूँ 
तो कैसे काटूँ अँधेरी रतियाँ॥ 

The parting night is long as tress,
Meeting is short, wears life dress. 
Untill I can see my lover O dear. 
How to pass  dark nights O mate? 

यकायक अज़दिल दो चश्म जादू 
बसद फ़रेबम बुबुर्द तसकी। 
किसे पड़ी है जो जा सुनावे 
पियारे पी को हमारी बतियाँ॥ 

Those  magical eyes suddenly stole
 Making excuses my courage whole
Who has the time to listen my grief 
Then tell all these to my love mate! 

चु शमअ सोज़ा चु ज़र्रा हैरां 
ज़े मेहरे आंमह बगश्तम् आख़िर। 
न नींद नैनां न अंग चैना 
न आप आवें न भेजें पतियां॥ 

I burn as a lamp, bear wonder stamp
Arrested by the love of my idol camp. 
Neither sleep in eyes, nor peace in ties. 
Neither comes nor sends letter O mate! 
 
ब हक्क़े रोज़े-विसाले दिलवर 
कि दाद मारा फ़रेब ख़ुसरो। 
सो पीत मन की दुराय राखों 
जो जान पाऊँ पिया की घतियां॥

By meeting days I can make a vow
'Khusru' is deceived in the love show
I could conceal my love in the heart
Had  I known of the deceit by mate. 
 



 

उमर ख़य्याम की रुबाई.... मिस्कीने-दिले-दर्दमन्दे-दीवानः-ए-मन.... 29

मिस्कीने-दिले-दर्दमन्दे-दीवानः-ए-मन
हुशियार न शुद ज़ इश्क़े-जानानः-ए-मन
रोज़े कि शराबे-आशिक़ी मी दानन्द
दर ख़ूने-जिगर जदन्द पैमानः-ए-मन


इस दर्दमन्द दीवाने दिल का मेहमान रहने वाला
मेरी जाँ की मोहब्बत से भी अनजान रहने वाला
जिस दिन उसे पेश कर दी गई इश्क़ की शराब
भरा ख़ूने-जिगर से ये प्याला, नादान रहने वाला

Tuesday, 18 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... पाक अज़ अदम आमदेन व नापाक शुदेम..... 39

पाक अज़ अदम आमदेन व नापाक शुदेम
आसूदः  दर   आमदेम   व  ग़मनाक शुदेम
बुदेमज़ ज़ आबे-दीदः   दर    आतिशे-दिल
दादेम ब बाद   उम्र  व   दर   ख़ाक   शुदेम


पाक  आए थे अदम से  हो  गए  नापाक हम
ख़ुश चले थे और आकर हो गए ग़मनाक हम
आतिशे-दिल में गिराया आँसुओं  ने  ही  यहाँ 
उम्र उड़ गई हवा में और हो गए दर ख़ाक हम

Monday, 17 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई...असरारे-अज़ल रा न तू दानी व न मन..... 27

असरारे-अज़ल रा न तू दानी व न मन
वीं हर्फ़-मुअम्मा न तू रव्वानी व न मन
हस्त अज़ पसे-पर्दा गुफ़्तगू-ए-मनो-तू
चूँ पर्दा बर उफ़्तद न तू मानी व न मन


जो असरार अज़ल के, तू भी मैं भी हूँ अनजान
हर्फ़े -मुअम्मा  पढ़  न   सकेंगे हम दोनों ये मान
पर्दे   के   पीछे   से   ही   हैं   तेरी   मेरी   बातें
पर्दे   के   गिरने पर  हम न  रहेंगे,  इतना  जान 

Sunday, 16 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... क़ौमे मुतफ़ाक्किर अन्द दर मज़हब बी दीं.... 31

क़ौमे मुतफ़ाक्किर अन्द दर मज़हब बी दीं
जमए   मुतहय्यैर   अन्द   दर   शक़ो-यक़ीं
नागाह    मुनादीह  - आमद      ज़     कमीं
का-ए-बेख़बराँ     राह   न आनस्त व  न  ईं


परेशाँ है क़ौम  मज़हब दीन  में क्या  है सही
शुरू  से  ही  शक, यक़ीं के दायरे में  ये  रही
हो गई है अब मुनादी किसी गुफ़िया जगह से
बेख़बर है तू, सही न  ये  है और  न  वो  सही

Saturday, 15 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... अज़ बादः शवद तकव्वुर अज़ सरहा कम.....

अज़ बादः शवद तकव्वुर अज़ सरहा कम
वज़   बादः   शवद  कुशादः  बन्दे-मुहकम
इबलीस    अगर   ज़   बादःखुर्दे  एक दम
कर    दे    हज़ार     सज्दः     पेशे-आदम

मय के पीने से हो जाता है ग़ुरूर कुछ कम
मयनोशी से बेड़ी टूटें हो जाते हैं बंधन कम
गर पी लेता कुछ शराब इबलीस  जन्नत में
करता सज्दे हज़ार जब सामने होते आदम

Friday, 14 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... दुनिया चू फ़नास्त मन बजुज़ फ़न न कुनम.... 30

दुनिया चू फ़नास्त मन बजुज़ फ़न न कुनम
जुज़     यादे-निशातो-मय-रौशन   न  कुनम
गोयन्द ख़ुदा तुरा अज़   मय   तौबः   दहाद
ऊ ख़ुद न दहद वर दहद  मन  न      कुनम


दुनिया को होना है फ़ना तो फ़न के सिवा 
मय और निशात की यादे-रौशन के सिवा 
लोग ये कहते हैं, तुझको ख़ुदा तौबा देगा
वो नहीं देगा,जो दी तो न लूँ मन के सिवा 

Thursday, 13 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई...गुफ़्तम कि दिगर बादः-ए-गुलगूँ न ख़ुरम..... 26

गुफ़्तम कि दिगर बादः-ए-गुलगूँ न ख़ुरम
मय ख़ूने-रज़स्त व मन दिगर ख़ूँ न ख़ुरम
पीरे-ख़िर्दम   गुफ़्त      बहुर्मत       गोई
गुफ़्तम कि मज़ाह मि कुनम चूँ न ख़ुरम

फूल के रंग की शराब नहीं पीऊँगा
मय अंगूर का है ख़ून, नहीं पीऊँगा
पूछा इक बुज़ुर्ग ने, है ईमाँ  इस पर
मैं मज़ाक करता हूँ क्यूँ नहीं पीऊँगा 

Wednesday, 12 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... ख़य्याम कि ख़ेमहा-ए-हिकमत मीदोख़्त.....25

ख़य्याम कि ख़ेमहा-ए-हिकमत मीदोख़्त
दर करा-ए-ग़म उफ़्ताद न नागा बिसोख़्त
मिक्राज़-ए-अजल तन्नाबे-उम्रश चू  बुरीद
दल्लाले- कज़ा   रायगानश    बिफ़रीख़्त

सीए थे दर्शन  के जो तम्बू उमर   ख़य्याम ने
ग़म की भट्टी में अचानक जल गए वो सामने
वक़्त की कैंची ने काटीं उम्र की जब रस्सियाँ 
जो भी बचा, बेचा उसे लोगों ने सब के सामने

Tuesday, 11 February 2025

खण्ड- क्या जीवन का अर्थ: (कग्गा 4-8)

खण्ड- क्या जीवन का अर्थ: (कग्गा 4-8)

 

4.  क्या प्रपंच का अर्थ है, औ' क्या है जीवन?

इन दोनों के बीच का क्या है निज बंधन?

क्या है कोई अगोचर यहाँ, जिसने बनाया धाम?

इन्द्रियों का प्रमाण हम मानें क्या भोलेराम? ।।४।।

 

5.    है देव क्या गहन अंधियारे गह्वर का एक नाम?

या जो  बूझे जाते उनको देते हम यह नाम?

रक्षक कोई जगत का तो इस गति का क्या काम?

क्या है जन्म, मृत्यु क्यासमझा भोलेराम ।।।।

 

6.    क्या है सृष्टि पहेली सुन्दरजीवन समझ के पार |

कौन भला समझाए इसका अर्थ सह विस्तार |

सर्जनकर्ता एक तो भिन्न मानव क्यों अविराम?

जीवगति है अलग भला क्योंबतला भोलेराम ।।।।

 

 

7.  जीवन का अधिनायक कौन, एकल या कि अनेक?

अंधबल कि विधि या पौरुष, या है धर्म की टेक?

ठीक हो अव्यवस्था का जाने कैसे आयाम?

तपन सहन करना ही जीव-गति क्या भोलेराम?।।।।

 

8.  क्रम व लक्ष्य के ध्यान से क्या, किया सृष्टि निर्माण?  

या फिर हो कर दिग्भ्रमित, डाले इस में प्राण?

सर्जनकर्ता सृष्टि के यदि ममता के धाम |      

जीव राशि को कष्ट भला क्यों होता भोलेराम?।।।।   

 

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https://www.ravimaun.com/2025/01/blog-post_83.html

उमर ख़य्याम की रुबाई... दर जुस्तने-जामे-जम जहाँ पैमूदेःम.... 36

दर   जुस्तने-जामे-जम    जहाँ    पैमूदेःम
रोज़े न निशस्तेम  ब   शबे    न    ग़ुनूदेम
ज़ उस्ताद चू वस्फ़े-जामे-जम बिशनीदम
ख़ुद    जामे-जहाँनुमः-ए-जम   मी  बूदेम


जामे-जमशेद की तलाश में जब से   चला हूँ 
न दिन में बैठ पाया हूँ न शब में सो   सका हूँ 
जब से उस्ताद की ज़ुबाँ से सुना इसका ज़िक्र
ख़ुद ही मैं जामे-जहाँनुमः-ए-जम हो   गया हूँ 




Monday, 10 February 2025

AHMAD FARAZ... GHAZAL.. SUNAA HAI LOG USE AANKHON BHAR KE DEKHTE HAIN.....

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं 
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं 

It's heard that people have her eye view. 
Let's stay in her city and have our due. 
 
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से 
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं 

It's heard that she fancies those distressed. 
So let's destroy ourselves 'n have a clue.

सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस की 
सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं 

It's heard her eye just looks for grief. 
If so, let's visit her lane to get a view. 

सुना है उस को भी है शेर ओ शाइरी से शग़फ़ 
सो हम भी मो'जिज़े अपने हुनर के देखते हैं 

It's heard that she has  liking for verse. 
If so, let's delve in our works to review. 

सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं 
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं 

It's heard that flowers are shed with talk
If so, let's talk with her and get it's clue. 

सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है 
सितारे बाम-ए-फ़लक से उतर के देखते हैं 

It's heard the moon ogles her night long
Stars alight from the sky to have a view. 

सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं 
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं 

It's heard that butterflies trouble at day. 
It's heard, glowworms get nightly view. 

सुना है हश्र हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखें 
सुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं 

It's heard that her fawn eyes are  doom. 
It's heard the jungle deers have her view

सुना है रात से बढ़ कर हैं काकुलें उस की 
सुना है शाम को साए गुज़र के देखते हैं 

It's heard that her tress surpasses night
It's heard, at eve' shadows pass for view

सुना है उस की सियह-चश्मगी क़यामत है 
सो उस को सुरमा-फ़रोश आह भर के देखते हैं 

It's heard that her black eyes spell doom
 Antimony-sellers sigh having her view. 

सुना है उस के लबों से गुलाब जलते हैं 
सो हम बहार पे इल्ज़ाम धर के देखते हैं 

It's heard that roses simply envy her lips
So let's blame the spring to get a review 

सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस की 
जो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं 

It's heard that mirror simulates forehead
Clear hearted first groom to have a view

सुना है जब से हमाइल हैं उस की गर्दन में 
मिज़ाज और ही लाल ओ गुहर के देखते हैं 

It's heard that on touching her slim neck
Mood of rubies, pearls demands review.

सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ में 
पलंग ज़ाविए उस की कमर के देखते हैं 

It's heard the fancy eyes of likely world 
Bed looks at her waist from angle anew

सुना है उस के बदन की तराश ऐसी है 
कि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं 

It's heard her body has been crafted so
Flowers tear their dress to get full view. 

वो सर्व-क़द है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहीं 
कि उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं 

She is tall but not unfulfilled flower wish
On this tree, buds of summer are in view

बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल का 
सो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं 

Her single look loots caravan of heart. 
So desirous travellers are afraid of view.

सुना है उस के शबिस्ताँ से मुत्तसिल है बहिश्त 
मकीं उधर के भी जल्वे इधर के देखते हैं 

It's heard, heaven adjoins her sleep site
Residents of that side too, get her view. 

रुके तो गर्दिशें उस का तवाफ़ करती हैं 
चले तो उस को ज़माने ठहर के देखते हैं 

If she stops, all revolves get around her
While on move, world stops for a view. 

किसे नसीब कि बे-पैरहन उसे देखे 
कभी कभी दर ओ दीवार घर के देखते हैं 

Who has got the fortune to see her bare
At times, home walls 'n doors get a view

कहानियाँ ही सही सब मुबालग़े ही सही 
अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं 

Let these be stories and exaggeration 
If she is dream, then well worth a view

अब उस के शहर में ठहरें कि कूच कर जाएँ 
'फ़राज़' आओ सितारे सफ़र के देखते हैं 

Now in her city should I stay or move
O'Faraz' stars of journey need a review. 

    

उमर ख़य्याम की रुबाई... मन ज़ाहिरे-हस्ती-ओ-नेस्ती दानम.... २८

मन   ज़ाहिरे-हस्ती-ओ-नेस्ती    दानम
मन   बातिने-हर फ़राज़ो-पस्ती  दानम
बा ईं हमः अज़ दानिशे-ख़ुद शर्मम बाद
गर  मर्तबः-ओ    राह-ए-मस्ती    दानम


है, नहीं को मैं  बज़ाहिर  जानता  हूँ 
ऊँच-नीच के फ़र्क़ सब पहचानता हूँ 
बावजूद इसके हूँ ख़ुद पर   शर्मसार 
मर्तबा का रास्ता   कब   मानता   हूँ 


Sunday, 9 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... मन बे मये-नाब ज़ीस्त न तवानम..... 24

मन बे मये-नाब   ज़ीस्तन   न   तवानम
बे बादः कशीद   बारे-तन   न   तवानम
मन बन्दाः-ए-आँ दमम कि साक़ी गोयद
यक जामे-दिगर बिगीर व मन   नवानम


ख़ालिस   मय  के   बिना   नहीं मैं रह पाऊँगा 
मय    बग़ैर   कब  बोझ बदन का सह पाऊँगा 
मैं    उस   पल का   बन्दा   हूँ जब ख़ुद साक़ी
कहे कि "ले इक और", '' नहीं'' मैं कह पाऊँगा 

Saturday, 8 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... दह अक़्ल ज़ निह रिवाक़. व ज़ हफ़्त बिहिश्त......23

दह अक़्ल  ज़  निह  रिवाक़    व ज़   हफ़्त   बिहिश्त
हफ़्त अख़्तर आम अज़ शिश ज़िहत ईं नामः निविश्त
कज़ पंज़ हवास व चार अर्कान     व     सिह     रूह
ऐज़द  ब   दो   आलम    चू   यक    न     सिरिश्त


दस फ़रिश्तों, आस्माँ नौ, आठ स्वर्गों ने कहा
सात तारों, छः दिशाओं ने  यही  मुझसे कहा
पाँचों हवास, चार अर्कान, तीन रूहें कह रहीं
तुम  सा  कोई दो जहाँ में तो ख़ुदा से ना बना

Friday, 7 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... बुतख़ानः व काबा ख़ानः - ए-बन्दगी अस्त....22

बुतख़ानः व काबा ख़ानः - ए - बन्दगी अस्त
नाक़ूस    ज़दन     तरानः-ए-बन्दगी   अस्त
महराबो-कलीसिया. व  तस्बीह  व. सलीब
हक्क़ा. कि  हमः  निशानः -ए-बन्दगी अस्त


मन्दिर हो या काबा, बन्दगी की जगह है
शंख बज रहा हो कि तराना एक वजह है
माला, सूली, गुम्बद या  फिर शिखर दिखे
यही हक़ीक़त है कि बन्दगी की  जगह है


Thursday, 6 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... सरे-हल्क़ा-ए-रिन्दाँ. ज़े - ख़राबात मनम.... 21

सरे-हल्क़ा-ए-रिन्दाँ ज़े-ख़राबात  मनम
उफ़्तादः ब मआसियत ज़ ताआत मनम
आँ  कस कि शबे-दराज़ अज़  बादे-नाब
व ज़ ख़ूने-जिगर. कुनद मुनाजात मनम

मैं केवल मयख़ाने के रिन्दों  जैसा हूँ
पापों का साथी कब पूजावालों सा हूँ 
जो लम्बी रातों में ख़ालिस मय पीते 
और पीते हैं ख़ूने-जिगर, उन जैसा हूँ 

Wednesday, 5 February 2025

BASHIR BADR... GHAZAL... HAMARA DIL SAVERE KA SUNEHRA JAM HO JAYE.

हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए
चराग़ों की तरह आँश्खें जलें जब शाम को जाए

Let my heart be the golden morn' cup of wine. 
Eyes burn like lamps at evening and shine. 

कहीं तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए 
तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाए 

A beautiful evening in your name let it be. 
Let moon slide from sky to be a cup of wine. 

अजब हालात में यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर 
मोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए 

The heart was bartered in a strange state. 
As love home was auctioned with some fine. 

समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दे हमको
हवाएँ तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए

Call for me on an ocean route this way. 
When winds are fast, boats have eve' shine. 

मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहाँ होगा 
परिन्दा आसमाँ छूने में जब नाकाम हो जाए 

I know what it's fate will be when 
Bird fails to gain sky and tends to decline. 

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो 
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए 

Let the glow of your memories be ever with me. 
Who knows, in which lane, life eve' will shine. 

मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से क्य गुज़रता हूँ 
कोई मासूम क्यूँ मेरे लिए बदनाम हो जाए 

I pass less frequently fhrough her lane. 
Why an innocent get bad name by visit of mine. 

शराबे-ग़म सभी पीकर नहीं संजीदा रह सकते 
कहीं ऐसा न हो ये शग़्ल भी बदनाम हो जाए 

Let not this habit get a bad name too. 
All can't remain  sober after having grief wine. 








उमर ख़य्याम की रुबाई.... गर बा ख़िरद तछ हिर्स रा बन्दा मशव......35

गर  बा  ख़िरदी  तू  हिर्स  रा  बन्दा  मशव
दर पाए तमअ ख़्वार व सर अफ़गन्दा मशव
चूँ  आतिश  तेज़  बाश  व  चूँ  आब  रवाँ
चूँ  ख़ाक  बहर  बाद  परगन्दा  ं मशव

 समझदार है, तुझ पर लोभ सवार न हो
झुक न तमन्ना के आगे , यूँ ख़्वार न हो
बह आतिश और पानी के मानिंद सदा
ख़ाक के जैसे उड़ कर तो यूँ ख़्वार न हो

Tuesday, 4 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... मीलम ब शराबे-ना बाशद दायम.... 20

मिलम ब शराबे - नाब बाशद दासम
गोशम ब नै-ओ-रबाब बाशद दायम
गर ख़ाके-मरा कूज़ागराँ कूज़ा कुनद
आँ कूज़ा पुर अज़ शराब बाशद दायम 

मेरी मंजिल मयनोशी ही रहती है
 यह सितार और यही बाँसुरी बजती है
गर मेरी मिट्टी से भी कुछ जाम बनें
उन में भी मय ढले तमन्ना रहती है

Monday, 3 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... अज़ मंज़िले-कुफ़्र ता ब दीं यक नफ़्स अस्त....19

अज़ मंज़िलें - कुफ़्र ता ब दीं यक नफ़्स अस्त
बज़ आलमे-शक ता ब यकीं यक नफ़्स अस्त
ईं  यक  नफ़से-अज़ीज  रा  ख़ुश  मी  दार
कज़ हासिले-उम्रे - मा हमीं  यक  नफ़स  अस्त

कुफ़्र की मंज़िल से दीं बस एक साँस है
शक से यक़ीन आने तक बस एक साँस है
ऐसी अज़ीज़ साँस को तू ख़ूबसूरत जान
तिरी ज़िंदगी का हासिल यही एक साँस है

उमर ख़य्याम की रुबाई.... मन बादः खुरम व लेक मस्ती न कुनम... 34

मन बादः खुरम व लेक मस्ती न कुनम
अल्लाह बक़दह दराज़ दस्ती न कुनम
दानी गरज़म  ज़  मय परस्ती  चि  बूद
ता हम चू तू खेशतन परस्ती  न  कुनम

हूँ तो मैं मयनोश मगर मस्ती तो नहीं करता हूँ 
प्याले पर तो ज़ुल्म मेरे अल्लाह नहीं करता हूँ
तू क्या जाने वजह रही क्या मयनोशी की मेरी
मस्ती में जब रहूँ, ख़ुदपरस्ती तो नहीं करता हूँ 

Sunday, 2 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... रोज़े कि ज़ तू गुज़श्तः शुद याद मकुन.... 33

रोज़े कि ज़ तू गुज़श्तः शुद याद मकुन
फ़र्दा कि नयामदस्त फ़रियाद मकुन 
ज़ आइन्दः व बगुज़श्तः-ए-ख़ुद याद मकुन 
हाले. ख़ुश बाश ब उम्र बरबाद मकुन

याद मत कर उस गुज़श्तः रोज़ को जो चल बसा
आने वाले कल की भी फ़रियाद न कर, होगा क्या? 
बीते कल और आने वाले कल को युँही याद न कर
आज में ख़ुश रह, उम्र बरबाद कर के होगा क्या? 

Saturday, 1 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... ख़ारे कि बज़रे-पा-ए-हैवानेस्त.... 17

ख़ारे कि बज़रे-पा-ए-हैवानेस्त
ज़ल्फ़े-सनमे ब अब्रू-ए-जानानेस्त
हर ख़िश्त कि बर कुग्रा-ए-ईवानेस्त
अंगुश्त-ब-जेरे ब सरे-सुल्तानेस्त

गड़ रहा जो एक काँटा जानवर के पाँव में 
है सनम की भोंह या उस ज़ुल्फ़ ही की छाँव में
ईंट कंगूरों में जो हैं महल के ऊपर जड़ी
बादशाही जिस्म का हिस्सा दिखे उस ठाँव में