ज़ल्फ़े-सनमे ब अब्रू-ए-जानानेस्त
हर ख़िश्त कि बर कुग्रा-ए-ईवानेस्त
अंगुश्त-ब-जेरे ब सरे-सुल्तानेस्त
गड़ रहा जो एक काँटा जानवर के पाँव में
है सनम की भोंह या उस ज़ुल्फ़ ही की छाँव में
ईंट कंगूरों में जो हैं महल के ऊपर जड़ी
बादशाही जिस्म का हिस्सा दिखे उस ठाँव में