हुशियार न शुद ज़ इश्क़े-जानानः-ए-मन
रोज़े कि शराबे-आशिक़ी मी दानन्द
दर ख़ूने-जिगर जदन्द पैमानः-ए-मन
इस दर्दमन्द दीवाने दिल का मेहमान रहने वाला
मेरी जाँ की मोहब्बत से भी अनजान रहने वाला
जिस दिन उसे पेश कर दी गई इश्क़ की शराब
भरा ख़ूने-जिगर से ये प्याला, नादान रहने वाला
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