खण्ड- क्या जीवन का अर्थ: (
4. क्या प्रपंच का अर्थ है, औ' क्या है जीवन?
इन दोनों के बीच का क्या है निज बंधन?
क्या है कोई अगोचर यहाँ, जिसने बनाया धाम?
इन्द्रियों का प्रमाण हम मानें क्या भोलेराम?
5. है देव क्या गहन अंधियारे गह्वर का एक नाम?
या जो न बूझे जाते उनको देते हम यह नाम?
रक्षक कोई जगत का तो इस गति का क्या काम?
क्या है जन्म, मृत्यु क्या? समझा भोलेराम ।।५।।
6. क्या है सृष्टि पहेली सुन्दर? जीवन समझ के पार |
कौन भला समझाए इसका अर्थ सह विस्तार |
सर्जनकर्ता एक तो भिन्न मानव क्यों अविराम?
जीवगति है अलग भला क्यों, बतला भोलेराम ।।६।।
7. जीवन का अधिनायक कौन, एकल या कि अनेक?
अंधबल कि विधि या पौरुष, या है धर्म की टेक?
ठीक हो अव्यवस्था का जाने कैसे आयाम?
तपन सहन करना ही जीव-गति क्या भोलेराम?
8. क्रम व लक्ष्य के ध्यान से क्या, किया सृष्टि निर्माण?
या फिर हो कर दिग्भ्रमित, डाले इस में प्राण?
सर्जनकर्ता सृष्टि के यदि ममता के धाम |
जीव राशि को कष्ट भला क्यों होता भोलेराम?।।८।।
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