Thursday, 20 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... बा ज़ुल्फ़े-तू गर दस्त दराज़ी करदम..... 41

बा  ज़ुल्फ़े-तू  गर  दस्त  दराज़ी  करदम
अज़  रू-ए-हक़ीक़त न मजाज़ी  करदम
दर ज़ुल्फ़े-तू दीदम दिले-दीवानः-ए-ख़ेश
मन बा  दिले-ख़ेश दस्त  दराज़ी  करदम


 तेरी ज़ुल्फ़ों की तरफ़ जो हाथ बढ़ा है मेरा
हक़ीक़तन  कुछ न ग़लत काम हुआ है मेरा
अपने पागल दिल को जो देखा था ज़ुल्फ़ में 
जिससे हुई ज़्यादती, वो दिल ही रहा है मेरा



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