Monday, 10 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... मन ज़ाहिरे-हस्ती-ओ-नेस्ती दानम.... २८

मन   ज़ाहिरे-हस्ती-ओ-नेस्ती    दानम
मन   बातिने-हर फ़राज़ो-पस्ती  दानम
बा ईं हमः अज़ दानिशे-ख़ुद शर्मम बाद
गर  मर्तबः-ओ    राह-ए-मस्ती    दानम


है, नहीं को मैं  बज़ाहिर  जानता  हूँ 
ऊँच-नीच के फ़र्क़ सब पहचानता हूँ 
बावजूद इसके हूँ ख़ुद पर   शर्मसार 
मर्तबा का रास्ता   कब   मानता   हूँ 


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