Tuesday, 11 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... दर जुस्तने-जामे-जम जहाँ पैमूदेःम.... 36

दर   जुस्तने-जामे-जम    जहाँ    पैमूदेःम
रोज़े न निशस्तेम  ब   शबे    न    ग़ुनूदेम
ज़ उस्ताद चू वस्फ़े-जामे-जम बिशनीदम
ख़ुद    जामे-जहाँनुमः-ए-जम   मी  बूदेम


जामे-जमशेद की तलाश में जब से   चला हूँ 
न दिन में बैठ पाया हूँ न शब में सो   सका हूँ 
जब से उस्ताद की ज़ुबाँ से सुना इसका ज़िक्र
ख़ुद ही मैं जामे-जहाँनुमः-ए-जम हो   गया हूँ 




No comments:

Post a Comment