रोज़े न निशस्तेम ब शबे न ग़ुनूदेम
ज़ उस्ताद चू वस्फ़े-जामे-जम बिशनीदम
ख़ुद जामे-जहाँनुमः-ए-जम मी बूदेम
जामे-जमशेद की तलाश में जब से चला हूँ
न दिन में बैठ पाया हूँ न शब में सो सका हूँ
जब से उस्ताद की ज़ुबाँ से सुना इसका ज़िक्र
ख़ुद ही मैं जामे-जहाँनुमः-ए-जम हो गया हूँ
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