वज़ बादः शवद कुशादः बन्दे-मुहकम
इबलीस अगर ज़ बादःखुर्दे एक दम
कर दे हज़ार सज्दः पेशे-आदम
मय के पीने से हो जाता है ग़ुरूर कुछ कम
मयनोशी से बेड़ी टूटें हो जाते हैं बंधन कम
गर पी लेता कुछ शराब इबलीस जन्नत में
करता सज्दे हज़ार जब सामने होते आदम
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