वीं हर्फ़-मुअम्मा न तू रव्वानी व न मन
हस्त अज़ पसे-पर्दा गुफ़्तगू-ए-मनो-तू
चूँ पर्दा बर उफ़्तद न तू मानी व न मन
जो असरार अज़ल के, तू भी मैं भी हूँ अनजान
हर्फ़े -मुअम्मा पढ़ न सकेंगे हम दोनों ये मान
पर्दे के पीछे से ही हैं तेरी मेरी बातें
पर्दे के गिरने पर हम न रहेंगे, इतना जान
No comments:
Post a Comment