Monday, 17 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई...असरारे-अज़ल रा न तू दानी व न मन..... 27

असरारे-अज़ल रा न तू दानी व न मन
वीं हर्फ़-मुअम्मा न तू रव्वानी व न मन
हस्त अज़ पसे-पर्दा गुफ़्तगू-ए-मनो-तू
चूँ पर्दा बर उफ़्तद न तू मानी व न मन


जो असरार अज़ल के, तू भी मैं भी हूँ अनजान
हर्फ़े -मुअम्मा  पढ़  न   सकेंगे हम दोनों ये मान
पर्दे   के   पीछे   से   ही   हैं   तेरी   मेरी   बातें
पर्दे   के   गिरने पर  हम न  रहेंगे,  इतना  जान 

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