पाक अज़ अदम आमदेन व नापाक शुदेम
आसूदः दर आमदेम व ग़मनाक शुदेम
बुदेमज़ ज़ आबे-दीदः दर आतिशे-दिल
दादेम ब बाद उम्र व दर ख़ाक शुदेम
पाक आए थे अदम से हो गए नापाक हम
ख़ुश चले थे और आकर हो गए ग़मनाक हम
आतिशे-दिल में गिराया आँसुओं ने ही यहाँ
उम्र उड़ गई हवा में और हो गए दर ख़ाक हम
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