सर दफ़्तरे-आलम मानी इश्क़ अस्त
सर बैते-क़सीदः-ए-जवानी इश्क़ अस्त
ऐ आँ कि ख़बर नदारी अज़ आलमे-इश्क़
ईं नुक़्तः बदाँ कि ज़िन्दगानी इश्क़ अस्त
दुनिया में जो लिखा है उसका मानी ही इश्क़ है
ये शे'अर भी है, क़सीदः-ए-जवानी भी इश्क़ है
नावाक़िफ़ ही रहा है तू इस इश्क़ की दुनिया से
ऐ काश समझता ज़ीस्त की कहानी ही इश्क़ है
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