Saturday, 22 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... सर दफ़्तरे-आलम मानी इश्क़ अस्त

सर   दफ़्तरे-आलम  मानी   इश्क़   अस्त
सर   बैते-क़सीदः-ए-जवानी  इश्क़  अस्त
ऐ आँ कि ख़बर नदारी अज़ आलमे-इश्क़
ईं नुक़्तः बदाँ कि  ज़िन्दगानी इश्क़  अस्त



दुनिया में जो लिखा है उसका मानी ही इश्क़ है
ये शे'अर भी है, क़सीदः-ए-जवानी भी इश्क़ है
नावाक़िफ़ ही रहा है तू इस इश्क़ की दुनिया से
ऐ काश समझता ज़ीस्त की कहानी ही इश्क़ है


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