Tuesday, 25 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... बुत गुफ़्त ब बुतपरस्त काय आबिदे-मा.....

बुत गुफ़्त ब बुतपरस्त काय  आबिदे-मा
दानी च ज चि रू-ए-गश्तः-ए-साजिदे मा
बर  ज़  जमाले-ख़ुद   तजल्ली   कर्दास्त
आँ कस कि ज़ तुस्त  नाज़िरो-शाहिदे-मा


बुत बोला बुतपरस्त से जानता है क्यूँ आख़िर
बन  गया  है तू मेरा किसलिए साजिद, नासिर
उसके ही जमाल ने तो मुझे बख़्शी है तजल्ली 
इसी वजह से  बना है तू मिरा शाहिद, नाज़िर

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