Thursday, 27 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... दर हेच सरे-नेस्त कि अस्रारे-नेस्त

दर   हेच    सरे-नेस्त   कि    अस्रारे-नेस्त
दिल रा ख़बर अज़ अन्दको-बिस्यारे नेस्त
हर   तायफ़ः    र   वन्द   राहे   दर    पेश
अल्लाह    रहे-इ'श्क़   रा   सालारे    नेस्त


कोई नहीं है  सर  ऐसा जिसमें  इसरार नहीं  है
या कोई दिल ऐसा जिसको   ख़बरे-यार नहीं है
रस्ता दिखलाने वाला हर दल को मिल जाता है
दिखलाए जो  प्रीत का रस्ता वो सालार नहीं  है

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