Friday, 28 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... गुल गुफ़्त बे अज़ लक़ा-ए-मनरू-ए-नेस्त

गुल गुफ़्त बे अज़ लक़ा-ए-मन रू-ए-नेस्त
चन्दीं    सितम   गुलाब   गर   बादे-चीस्त
बुलबुल ब ज़ुबान  हाल  बा ऊ  मी  गुफ़्त
यक रोज़  कि  ख़न्दीद  साले-बि  गिरीस्त


फूल बोला ऐसा हसीं चेहरा कहाँ होता है?
कह रहा गुलाब ये कि रूप वो भी खोता है 
बुलबुल इस हालत पर उनको बस ये बोला 
एक दिन का हँसने वाला एक साल रोता है


Flower said you can't find so lovely face 
Rose says loss of beauty it has to face.
The nightingale listened and so opined.
You laugh for a day, weep year long race

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