Tuesday, 4 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... मीलम ब शराबे-ना बाशद दायम.... 20

मिलम ब शराबे - नाब बाशद दासम
गोशम ब नै-ओ-रबाब बाशद दायम
गर ख़ाके-मरा कूज़ागराँ कूज़ा कुनद
आँ कूज़ा पुर अज़ शराब बाशद दायम 

मेरी मंजिल मयनोशी ही रहती है
 यह सितार और यही बाँसुरी बजती है
गर मेरी मिट्टी से भी कुछ जाम बनें
उन में भी मय ढले तमन्ना रहती है

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