गर बा ख़िरदी तू हिर्स रा बन्दा मशव
दर पाए तमअ ख़्वार व सर अफ़गन्दा मशव
चूँ आतिश तेज़ बाश व चूँ आब रवाँ
चूँ ख़ाक बहर बाद परगन्दा ं मशव
झुक न तमन्ना के आगे , यूँ ख़्वार न हो
बह आतिश और पानी के मानिंद सदा
ख़ाक के जैसे उड़ कर तो यूँ ख़्वार न हो
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