Thursday, 6 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... सरे-हल्क़ा-ए-रिन्दाँ. ज़े - ख़राबात मनम.... 21

सरे-हल्क़ा-ए-रिन्दाँ ज़े-ख़राबात  मनम
उफ़्तादः ब मआसियत ज़ ताआत मनम
आँ  कस कि शबे-दराज़ अज़  बादे-नाब
व ज़ ख़ूने-जिगर. कुनद मुनाजात मनम

मैं केवल मयख़ाने के रिन्दों  जैसा हूँ
पापों का साथी कब पूजावालों सा हूँ 
जो लम्बी रातों में ख़ालिस मय पीते 
और पीते हैं ख़ूने-जिगर, उन जैसा हूँ 

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