Sunday, 9 February 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... मन बे मये-नाब ज़ीस्त न तवानम..... 24

मन बे मये-नाब   ज़ीस्तन   न   तवानम
बे बादः कशीद   बारे-तन   न   तवानम
मन बन्दाः-ए-आँ दमम कि साक़ी गोयद
यक जामे-दिगर बिगीर व मन   नवानम


ख़ालिस   मय  के   बिना   नहीं मैं रह पाऊँगा 
मय    बग़ैर   कब  बोझ बदन का सह पाऊँगा 
मैं    उस   पल का   बन्दा   हूँ जब ख़ुद साक़ी
कहे कि "ले इक और", '' नहीं'' मैं कह पाऊँगा 

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