Saturday, 8 March 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई....

आमद सहरे निदा  ज़ मयख़ानाः-ए-मा
काय़   रिन्दे-ख़राबाती-ए-दीवानः-ए-मा
बर ख़ेज कि पुर  कुनेम   पैमानः-ए-मय
ज़ाँ पेश कि  पुर  कुनन्द   पैमानः-ए-मा


कहीं से आई  सदा  सुब्ह सहने-मयख़ाना
अपना प्याला तो उठा रिन्द यहाँ पर आना
कर दूँ लबरेज़  तिरा जाम  मैं रंगीं  मय से
इससे पहले कि छलक जाए मिरा पैमाना


From inside tavern, emerged a sound.
Pick up your cup and be bottle bound.
Let me fill your cup with colourful wine
Before it is empty by splashes around. 


Friday, 7 March 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... यज़दाँ चू गिले-वजूदे-मा आरास्त.....

यज़दाँ      चू    गिले-वजूदे-मा       आरास्त
दानस्त ज़ फैले-मा चि  बर ख़्वाहिद  रवास्त
बे   हुक्मश  नेस्त   हर   गुनाहे   कि  मरास्त
पस सोख़्तने-क़ियामत अज़ बहर चि ख़ास्त


ख़ालिक़ ने जिस मिट्टी से है मुझको ढाला
वही जानता क्या करने को मुझको पाला
उसके हुक्म बिना कोई न गुनाह किया है
 मुझे जलाए क्यूँ अंतिम दिन की ये ज्वाला


My design, by earth, God has made. 
He knows my deeds 'n their shade.
Unordered, I have committed no sin. 
Why should I fear doomsday parade? 

GHALIB.. GHAZAL.. HAZAARON KHWAHISHEN AISI KI HAR KHWAHISHEN PE DAM NIKLE

हज़ारों ख़्नाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले 

Each worth dying for, a thousand wishes galore. 
Many got fulfilled, yet I craved for more. 

निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए थे लेकिन 
बड़े बे आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले 

I have heard how Adam was evicted from heaven 
I was evicted from your lane,disgraced far more. 

ख़ुदा के वास्ते पर्दा न काबे का उठा वाइज़
कहीं ऐसा ना हो याँ भी वही काफ़िर सनम निकले 

For God's sake, O priest don't raise Kaaba's veil
Lest I should find that infidel idol here once more. 

मोहब्बत में नही है फ़र्क़ जीने और मरने में
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

In love there's no difference between life and death. 
For same infidel are both of these in store. 

कहाँ मयख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़ 
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले 

O 'Ghalib' it's unlikely to meet a priest in tavern. 
But last night he sneaked in when I left it's door. 

Thursday, 6 March 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... बर चेहरे-ए-गुल शबनमे-नौरोज़ ख़ुशस्त....

बर  चेहरः-ए-गुल  शबनमे-नौरोज़  ख़ुशस्त
दर सहने-चमन रू-ए-दिल अफ़्रोज़ ख़ुशस्त
अज़ दी कि गुज़श्त हरचः गोई  ख़ुश  नेस्त
ख़ुश  ज़  दी  मगौ    कि   इम्रोज़   ख़ुशस्त 


गुल के चेहरे  पे तो  शबनम  की  है  बहार 
जगमगाते रू-ए-दिल  का  बाग़  में  निखार
तुम ये बता रहे हो  मुझे  ठीक कल  ही  था
कल कुछ नहीं था आज ही होता है ख़ुशगवार


Flower looks lovely with dewdrops on face. 
Shine is in garden with glittering heart face. 
Don't tell me that yesterday was good indeed. 
Today is the loveliest, nothing at par in  race. 





उमर ख़य्याम की रुबाई.... दर आलमे-ख़ाक पा शुदेमो-रफ़्त

दर आलमे-ख़ाक पा शुदेमो-रफ़्त
सद दुश्मन-दोस्त बर तुरा बुदेमो-रफ़्त
बा चू- ओ चिरः-ए-तू मरा कारे नेस्त
चन्दा. कि बदाश्ती बपा शुदेमो-रफ़्त


इस माटी के जग में सभी आए चले गए 
दुश्मन औ दोस्त भी कभी आए चले गए 
तिरे कैसे और क्यूँ से मुझे काम नहीं है
जिस जा रखा रहे अभी आए चले गए 


In this earthly abode, all came and left. 
In friend 'n foe mode, all came and left. 
I am unconcerned with your why' n how.
We bore a given load, all came and left. 


Wednesday, 5 March 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... दर सूमिआ-ओ मदरसः-ओ-दैरो-किनिश्त

दर    सूमिआ-ओ. मदरसः-ओ-दैरो-किनिश्त
तर्सीन्दः-ए-दोज़ख़ंद- ओ- जोया- ए- बिहिश्त
आँ कस कि उज़ अस्रार ख़ुदा बा ख़बर अस्त
ज़ी  तुख़्म दर  अन्दरूने-दिल  हेच  न  किश्त

मन्दिर, मस्जिद, मदरसे  हों या  हों  धर्म सभाएँ
जो डरते दोज़ख़ से या बहिश्त की आस लगाएँ
इन  लोगों ने  जो  असरारे-ख़ुदा से  वाक़िफ़  हैं
अपने दिल के अन्दर बीज एक भी बो नहीं पाएँ


Be it temple, mosque, religious gathering or school. 
Those who are afraid of hell or
 heaven ward pool.
Not a single seed in their heart
 field could they sow.
All those  who could ascertain 
 His mysteries so cool. 

CHOSEN COUPLETS

पत्ते मोती हथेलियों पे 
लिए
सुब्अ को दे रहे हैं नज़राने

Leaves with pearls on palm. 
Offer it to morning calm. 

झूमते फूल माँगते हैं दुआ
अब हवा आए हम को बिखराने
O wind! Now scatter us far. 
Swinging flowers hum psalm.

तू दस्तगीर शबे-ख़िज्रे-पै ख़जस्तःकि मन
पियादा मी खेम व हमराहान  सवारानन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

ख़िज्र फ़रिश्ते मुझे साथ ले मैं भी उन में आन मिलूँ 
घुड़सवार वे, मैं पैदल हूँ, पथ दिखला दो,  बात बने

O blessed Khijra angel, 
let me also mingle
With my colleagues of the pack. 
They are on horseback, 
while I am on foot track. 
Let me also be one with pack. 

  साकिनाने-हरमे-सिर्रे-अफ़ाफ़े-मलकूत
बा मने-राहनशीं बादः-ए मस्तानः ज़दन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

देवलोक की बस्ती के थे
मर्म भवन के रहने वाले 
मैं राही था चलने वाला 
मुझे दे दिया मय का प्याला 

They were residents of heaven. 
May be near the cloud seven. 
I was on my earthen track. 
Gave me wine from their pack. 

Transcreated by Ravi Maun 

मुतरिब तूने खींच के रख दी कामते-राना की तस्वीर 
खिंचती हुई अलाप किसी की उठती हुई जवानी है
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Of my lovely lover tall, O painter! You have drawn a sketch. 
Her youth is on the rise, like your 
tuning up  on stretch. 

आसमाँ . बारे-अमानत न तवानस्त कशीद 
क़र्रा-ए-फ़ाल  बनामे-मने-दीवानः  ज़दन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बोझ अमानत की उसके जब आसमान भी झेल
 न पाया
फेंक के देखा पासा तो मुझ पागल का ही नाम दिखाया

When sky overhead 
Guarantee had to shed
Then dice was thrown 
My name was shown. 

Transcreated by Ravi Maun 
 

मिट्टी की बास अपने बदन की असीर थी
ये तेरा क़ुर्ब है कि महकने लगे हैं हम

It was prisoner of body, this smell of
 the soil. 
Your near ness has brought fragrance 
of toil. 

दुनिया समझ रही थी कि अब ख़ाक हो चुके
कैसी हवा चला दी दहकने लगे हैं हम

The world thought that I was reduced 
to ashes. 
What a wind that embers are now seen in spoil. 

POET... BASHIIR BADR 

Transcreated by Ravi Maun. 

गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मिरे आगे
ग़ालिब 

My hands are lifeless though, my eyes are still bright. 
Remove not the cup and the bottle yet from my sight

Transcreated by KULDIP SALIL 

ख़लासे-'हाफ़िज़' अजाँ ज़ुल्फ़े-ताबदार म दार
कि      बस्तगाने-कमन्दे-तू       रुस्तमारानन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

माँग न 'हाफ़िज़' कभी जुदाई ज़ुल्फ़-ए -ताबदार से
दुनिया में आज़ाद वही, जो क़ैद है ज़ुल्फ़-ए-यार से

O 'Hafiz'! Don't ask for release, 
from  lusturous tress like these
He alone in this world is free, 
who is captive of  tress of thee. 

दोश दीदम कि मलाइक दरे - मयख़ानः ज़दन्द
गिले-आदम  बे  सिरिश्तंद  व ब पैमानः ज़दन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

मैंनें देखा कल देवों ने मयख़ाने का दर खटकाया
आदम की मिट्टी से गूँधा फिर उससे इक जाम बनाया 

Gods came to the fore. 
Knocked at tavern door. 
Kneaded with human soil. 
Made wine up from spoil. 

Transcreated by Ravi Maun. 

शबनम हूँ सुर्ख़ फूल पे बिखरा हुआ हूँ मैं 
दिल मोम और धूप में बैठा हुआ हूँ मैं 

I am dew drop scattered on red rose. Heart is wax and in sun, giving a pose. 

कुछ देर बाद राख मिलेगी तुम्हें यहाँ 
लौ बन के इस चराग़ से लिपटा हुआ हूँ मैं 

You 'll find only ash here after some time 
I 've embraced this lamp in burning pose. 

औराक़ में छिपाती थी अक्सर वो तितलियाँ 
शायद किसी किताब में रक्खा हुआ हूँ मैं 

Usually she' d hide butterflies in pages. 
Probably within a book, I still repose. 

POET... BASHIIR BADR. 

Transcreated by Ravi Maun. 


न मन बरो-गुले-आरिज़ ग़ज़ल सरायम व बस
कि अ'न्दलीबे-तू अज़  हर  तरफ़  हज़ारानन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

तेरे गुले-आरिज़ पर केवल मैंने ग़ज़ल नहीं गाई है
हर दिस से लाखों बुलबुल की धुन भी पड़े सुनाई है

I am not alone to sing a ghazal on your rosy cheek. 
Many nightingales sing from all sides at their peak. 

बे आ ब मयकदः व चेहरा अर्गवानी कुन
मरौ ब सूमिआ' कि आँ जा सियाहकारानन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

लाल तिरा मुँह हो जाएगा मयख़ाने में आना जाना
वहाँ बसेरा मक्कारों का, पूजा- घर में तू मत जाना

You will get lovely red face
If to tavern, you go, retrace. 
Those who are clever' n so sly. 
Give the religious places a try. 

तख़लीक़-ए-काएनात के दिलचस्प जुर्म पर
हँसता तो होगा आप भी यज़्दाँ कभी कभी
अब्दुल हमीद अदम

Creation of the universe was an interesting crime. 
Lord must be laughing at it from 
time to time. 

हब ज़ेरे-ज़ुल्फ़े-दोता चूँ गुज़र कुनी बे निगार
कि अज़ यमीनो-यसारत चि बेकरारानन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

कभी जाओ तुम भी जो उस डगर
तो यूँ डाल लेना ज़रा नज़र
कि पड़े हुए हैं इधर-उधर 
तिरि ज़ुल्फ़ के कितने जिगर

If ever you traverse the way. 
Just look closely by the way. 
You 'll find lying here and there. 
Some hearts nearby tress snare. 

नसीबे-मा अत बिहिश्त ऐ ख़ुदा शनास बेरौ
कि     मुस्तहक़े - करामत    गुनाहगारानन्द

 ज़ाहिद अब तू बाहर आ रे हैं बहिश्त में क़दम हमारे 
उनका हक़ होता है इस पर जो गुनाह करते धरती पर

O priest ! You just step aside 
Now heaven is on our side. 
Those who sin on the earth. 
Over here, reserve their berth. 

तुरा हया व मरा आबे-दीदः शुद ग़म्माज़
वगरनः आ'शिक़ो-मा'शूक़ राज़ दारानन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

हया तिरी और मेरे आँसू इसकी चुगली कर देते हैं 
वर्ना राज़ को दोनों प्रेमी मन में पगली भर लेते हैं 

Your feeling shy, tears in my eye, 
reveal it after all. 
Lovers otherwise, are really wise, conceal it after all. 


बहुत ज़हीन- ओ- ज़माना-शनास था लेकिन 
वो रात बच्चों की सूरत लिपट के रोया भी
बशीर बद्र 

Though he understood world and was wise. 
Last night, he embraced as a child in cries. 

हज़ारों मील का मंज़र है इस नगीने में 
ज़रा सा आदमी दरिया है और सहरा भी
बशीर बद्र 

It reviews a thousand miles, this gem can see. 
This little man is both a desert and 
a sea. 

गुलों की तरह हमने ज़िंदगी को इस क़दर जाना
किसी की ज़ुल्फ़ में इक रात सोना और बिखर जाना
बशीर बद्र 

This is how I have understood the life plot. 
Spend a night in tress, then scatter a lot. 

अगर ऐसे गए तो ज़िंदगी पर हर्फ़ आएगा 
हवाओं से लिपटना, तितलियों को चूम कर जाना

If I leave as such, life will bear a blot. 
Let me kiss butterflies, embrace wind slot. 

धुनक के रख दिया था बादलों को जिन परिन्दों ने
उन्हें किसने सिखाया अपने साए से भी डर जाना

Birds who could shatter the clouds as such. 
How were they afraid of shadows they brought? 

गुफ़्तमश सिलसिला - ए-ज़ुल्फ़े-बुताँ दानी चीस्त 
गुफ़्त  'हाफ़िज़'  गिलः  अज़  शबे-यल्दा  मीकर्द 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

पूछा मैंने कहो कहाँ तक ये सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़े-बुताँ है
बोला 'हाफ़िज़' तीरा-ए-शब ने गिला कभी का भेज दिया है

ग़ुलामें-नर्गिसे-मस्ते-तू   ताज    दारानन्द
ख़राबे-बादः-ए-ला'ला-ए-तू हुशियारानन्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

जो ग़ुलामे-नर्गिसे-मस्त है, किसी बादशाह से कम 
नहीं
जो डूबा लाला-ए-मय में है, किसी होशियार से कम नहीं 

इशरते-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना 
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना 
ग़ालिब 

For a drop the ultimate joy
Is to be an ocean and enjoy. 
When pain reaches it's peak
Becomes a drug, gets so meek

Transcreated by Ravi Maun 

जाँ क्यों निकलने लगती है तन से दमे-समाअ
गर वो सदा समाई है चंग-ओ-रबाब में 
ग़ालिब 

Why life seems to ebb listening to musical sound? 
If in musical instruments pervades musical sound. 

फ़ैज़े -रूह उलकद्स अर बाज़ मदद फ़रमायद
दीगराँ हम  ब  कुनन्द  आँ  चि  मसीहा  मीकर्द 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

लुत्फ़े-नज़र हो जाए अगर रूहानी पुरुष पुरातन की
और  लोग भी  कर  पाएँगे  वही  मसीहा ने  जो  की

Just a favourable glance of spiritually awakened man.
What Jesus had done in His time, the others also can. 

गुफ़्त आँ यार कि ज़ ऊ गश्त सरे-दार बलन्द 
जुर्म   आँ   बूद   कि  अस्रार  हुवैदा   मीकर्द 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

 जिसने सूली को बलन्द सी ज़ीनत बख़्शी, दोस्त हमारा।
 सब असरार बयाँ करता था, यही जुर्म था उसका सारा। 

My friend ! Who had showered gallows with his grace. 
Narrated that his crime was telling all secrets in face. 

इशरते-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
ग़ालिब 

For a drop the final joy
Is to be ocean 'n enjoy. 
When pain reaches peak
Becomes a drug, is so meek. 




गुनाह कर के भी हम रिंद पाक-साफ़ रहे 
शराब पी तो नदामत ने आब आब किया 
जलील मानिकपूरी

Even committing sin, the drunkard is clean. 
He is ashamed of wine, has always been. 

आतिश-परस्त कहते हैं अहले-जहाँ मुझे
सरगर्मे-नाला  हाय  शररबार   देख  कर
ग़ालिब 

The world calls me worshipper of fire in the name. 
Listening to my cries,  while on fire, in the game. 

मुश्किल-ख़ेश बर पीरे-मुग़ाँ बुर्दम दोश
कू ब ताईदे-नज़र-हल्ले-मुअ'म्मा मीकर्द 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

अपनी मुश्किल लेकर कल मैं पीरे-मुग़ाँ के पास गया था
एक नज़र डाली उसने और वहीं मुअ'म्मा सुलझ गया था

I went to the tavern keeper with my problem in store. 
He just cast a glance 'n the problem was no more. 

दीदमश  ख़ुर्रमो-ख़ंदाँ  कदहे-बादः   बदस्त
व अंदर आँ आईनः सदगूनः तमाशा मीकर्द 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

लिए हाथ में जाम हमेशा हँसते ही तो देखा उसको 
सौ किस्मों के सत्य देख लेता था  आईने में  से  वो

I' ve always seen him smile with a wine cup in hand. 
Truth of hundred forms, he would in mirror disband.  


सालहा दिल तलबे-जामे-जम अज़ मा मीकर्द
व आँ चि ख़ुद दाश्त ज़ बेगानः तमन्ना मीकर्द
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बरसों से ही मेरा दिल मुझसे जम प्याला रहा माँगता
पास हमारे था, पर दिल औरों से प्याला रहा माँगता

My heart was seeking from me Jamshed's cup. 
I had it but it asked from others
Jamshed's cup. 

गौहरे कज़ सदफ़े-कौनो-मकाँ बैरून बूद
तलत अज़ गुमशुदगाँ-लबे-दरिया मीकर्द

मोती देश काल की सीमा से जो निकल चुका था
मैं सागर तट पर तलाशने उसको निकल चुका था

Pearl that had gone out of time 'n space frame. 
I was searching for it on the sea shore in name. 

तब चाके-गरेबाँ का मज़ा है दिले-नादाँ
जब इक नफ़्स उलझा हुआ हर तार में आवे
ग़ालिब 

O innocent heart ! Pleasure of tattered garb is then felt. 
When each breath is entwined with threads of dress 'n smelt. 














ऐ ग़ायब अज़ नज़र कि शुदी हमनशीने-दिल
मी  गोयमत  दुआ' व  सना  मी  फ़िरिस्तमत 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

नज़र से ग़ायब रहने वाले ऐ हमनशीने-दिल ! 
दुआ, आस, अरदास भेजता पास तुम्हारे दिल 

So far, you are out of vision, 
Heart is with you on a mission. 
Prayer, wishes and desire.
Are being sent to you entire 

' हाफ़िज़' सुरूदे-मजलिसे-मा ज़िक्रे-ख़ैरे-तुस्त
ता  जील  कुन   अस्पो-क़बा  मी  फ़िरिस्तमत 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बस तेरा ही चर्चा होता 'हाफ़िज़' मेरी महफ़िल में 
घोड़ा औ'क़बा भेज रहा हूँ जल्दी आजा महफ़िल में 

Discussed here are you alone. 
In my gathering, in this clone. 
I am sending horse and dress. 
Please come soon 'n address. 


दर रू-ए-ख़ुद तफ़र्रजे-सन्अ-ए-ख़ुदा बेकुन
कि आईना - ए-ख़ुदा-ए-नुमा मी फ़िरिस्तमत 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

तुम रू-ए-ख़ुद देखो, ख़ुदा का कौशल देखो
मैं भेजता हूँ ख़ुदा-ए-आईना, अपना मुँह देखो

Look at your own face
Appreciate God's grace
I'm sending divine mirror 
For you to look at face. 

हरदम  ग़मे  फ़िरस्त  मरा  व  बे  गो  ब  नाज़
कि ईं तुह्फ़ः अज़ बरा-ए-ख़ुदा मी फ़िरिस्तमत 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

हरदम मुझको दुःख देता रह 
औ' गुरूर से ये कहता रह
ख़ुदा के लिए भेज रहा हूँ 
इस तुहफ़े के साथ ही तू रह

Give me grief each day
Then with pride you say
I send this gift for you. 
And with it you will stay. 

ता मुत्रिबाँ  ज़  शौके-मनत  आगही  दहन्द
क़ौलो-ग़ज़ल ब साज़ो-नवा मी फ़िरिस्तमत 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

गाने वाले! मुझ से तुम को परिचित कर दें अपने
 साज़
भेज रहा हूँ क़ौलो-ग़ज़ल के साथ ही मैं अपनी आवाज़ 

Let the singers acclamatize you with instruments so pure. 
I am sending promised ghazal  in my own voice for sure. 




कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है 
सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है
निदा फ़ाज़ली 

Some are Hindus, Muslims, Christians galore. 
All have pledged not to be human any more 

दार राहे-इ'श्क़  मर्हलः-ए-क़ुर्बो-बुअन्दनेस्त
मी बीनमत  अयाँ व  दुआ' मी फ़िरिस्तमत
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बे-मानी हैं राहे-इश्क़ में नज़दीकी भी, दूरी भी
तुम्हें सामने देख रहा हूँ, दुआ भेजता दूरी की

हर  सुब्हो-शाम क़ाफ़िलः अज़ दुआ'-ए-ख़ैर
दर  सुह्बतो-शुमालो-सबा  मी    फ़िरिस्तमत
हाफ़िज़ शीराज़ी 

भेज रहा हूँ दुआ, ख़ैर के काफ़िले सुब्हो-शाम
ले जाती है उन्हें  सबा और हवा चले जो शाम


अश्के-'हाफ़िज़' ख़िरदो-सब्र ब दरिया अंदाख़्त
चि कुनद सोज़े-ग़मे-इ'श्क़ न आरस्त निहुफ़्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

हाफ़िज़ के अश्कों का दरिया बहा ले गया सब्र-ओ-ज्ञान
क्या करता वो इश्क़ के ग़म का सोज़ छुपा न सके अरमान 

गुफ़्तम ऐ मसनदे-जम जामे-जहाँ  बीनत कू
गुफ़्त अफ़सोस कि आँ दौलत-बेदार बेख़ुफ़्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

कहाँ गया वो जम का प्याला दुनिया दिखती जहाँ जोश से
सो गई दिखती हुई सब दौलत, मुझको यही अफ़सोस है" 


चली एक आँधी जो दीवानगी की
कटे पेड़ सारे इमारत खड़ी थी
बहुत दर्द देता है अब ये नज़ारा
बड़ा ख़ूबसूरत था बचपन हमारा
सीमीं उस्मानी 

A storm of madness blew over there.
Felled all trees, yet house stood there. 
This view now imparts lots of grief. 
Childhood like things lovely, was brief. 


 सुख़ने-इश्क़  न  आनस्त  कि  आयद   ब  ज़ुबाँ 
साक़िया मय दह व कोताह कुन ईं गुफ़्तो-शनुफ़्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

जो होंटों पर आ जाती थी नहीं प्यार की बात करें
साक़ी मय का प्याला देदे,कम  कहने की बात करें





गर तम्अ'दारी अज़ आँ जामे-मुरस्सा मये--ला' ल
दुर्रो-याक़ूत   ब   नोके-मिज़ाअत   बायद    सुफ़्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

अगर तमन्ना है तिरी इस मँहगे प्याले ही से पीना
माणिक मोती होंगे तुमको अपनी मिज़ाँ से पीना

ता अबद  बू-ए-मुहब्बत  ब  मशामश न  रसद
हर कि ख़ाके-दरे मयख़ाना ब रुख़सार न रुफ़्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बू-ए-मुहब्बत तो न उसे मिल पाएगी किसी हाल से
मयख़ाने की ख़ाक न जिसने कभी साफ़ की गाल से

तश्रीहे- हयातो- इल्तिलाहाते- ममात
दिन का कब बन सकी है आईना रात
उबली पड़ती  है  ज़िंदगी  रग-रग  से
उक्लीदिस की नहीं है अश्काल हयात
फ़िराक़ गोरखपुरी 

None can  sketch life, death might.
 How can day be a mirror for night? 
Life is bubbling in each vein itself. 
Life isn't sketches of Euclid, alright ! 


लहरों में  खिला  कँवल  नहाए   जैसे 
दोशीज़ा-ए-सुब्ह      गुनगुनाए    जैसे
ये रूप, ये लोच, वो तरन्नुम, ये निखार 
बच्चा   सोते    में     मुस्कुराए    जैसे 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

 As a full bloom lotus on waves afloat. 
As a maiden morning atuned  to  note. 
This beauty, curve, modulation, grace. 
As a  sleeping  child,  smiling unquote. 

गुल  बेखंदीद  कि  अज़  रास्त  न  रंजेम  वले 
हेच आ'शिक़ सुख़ने-तल्ख़ ब मा' शूक़ न गुफ़्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

यूँ फूल हँसा, बोला"सच्ची बातें दुःख देती हमें नहीं" 
पर मा'शूक़ा को आशिक़ ने यूँ कड़वी बातें कही नहीं 

'हाफ़िज़' मनशीं  बे  मयो-मा'शूकः ज़माने
कि अय्यामे-गुलो-यासमनो ई'दे सियामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बैठ न पल भर को भी 'हाफ़िज़' बिन मा'शूकः और प्यालों के
मौसम है रमज़ान, ई' द का, सभी फूल ख़ुशबू वालों के

सुब्हदम  मुर्गे-चमन बा गुले-नौ  ख़ास्तः  गुफ़्त
नाज़ कम कुन कि दरीं बाग़ बसे चूँ यूँ शिगुफ़्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

इस तरह कुछ बोली बुलबुल, गुले-नौ से सुब्ह दम
खिले तुझ से फूल कितने बाग़ में, कर  नाज़  कम

हाफ़िज़ मनशीं  बे  मयो-मा'शूक़ः ज़माने 
कि अय्यामे-गुलो-यासमनो ई'दे-सियामस्त

बैठ न पल भर को भी 'हाफ़िज़' बिन मा'शूकः और प्यालों के
मौसम है रमज़ान, ई' द का, सभी फूल ख़ुशबू वालों के


मयख़्वारः व सरगश्तः  व  रिन्देम  व   नज़रबाज़
व आँ कस कि चू मा नी अत दर ईं शह्र कुदामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

नज़र मिलाता, सिरफिरा, मस्त और मयख़्वार
इस नगरी में कौन है भला अपने जैसा  यार? 

ता गंजे-ग़मत दर दिले-वीराना मुक़ीमस्त
पैबस्तः  मरा  कुंजे-ख़राबात   मक़ामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

ग़म के सागर ने डाला है जब से दिले-वीराँ में डेरा
मयख़ाने का कोना ही तो घर हो गया है तब से मेरा
 


He is guilty, he is sinner, wasteful is
 this talk. 
He had curbed many desires, burnt in pain stock. 
Persistently dragging back, lusts of many kinds. 
Men are creatures of bonds, well within  their minds. 

KANNADA.POET....SHRI D. V. GUNDAPPA 

Transcreated by Ravi Maun. 

अज़ नंगे चि गोई कि मरा नाम ज़ नंगस्त
व ज़ नाम चि पुर्सी कि मरा नंग ज़ नामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बदनामी की क्या कहते हो, मैं मशहूर इसी से ही हूँ 
मशहूरी  की  पूछो  गर ,तो मैं बदनाम इसी से ही हूँ 

अज़ चाश्नी-ए-कन्द मगो  हेच  व ज़  शक्कर
 ज़ आँ रौ कि मरा बा लबे-शीरीने-तू कामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

क्या कन्दों की औ'शक्कर के मीठेपन की बात करो हो
मेरी चाहत में तो केवल सब से शीरीं होंट तुम्हारे 


 गोशम हमः बर क़ौले-नै व नग़्मः-ए-चंग अस्त 
चश्मम हमः बर ला'ले-लबो-गर्दिशे-जामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बंसी, तबले की तालों पर लगे हुए हैं मेरे कान
नज़र जमी ला'ला होंटों पर और जाम में आन

दर मजलिसे-मा इत्र मयामेज़ कि जाँ रा
हर लहज़ः गेसू-ए-तू ख़ुशबू-ए-मशामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

इत्र न छिड़को इस महफ़िल में बहकें साँसें मेरी
तेरी  ज़ुल्फ़ों  की  ख़ुशबू  से  महकें  साँसें  मेरी

तेरी क़ुरबतें भी हैं दूरियाँ ये करिश्मः-ए-कशिशे-बदन
च क़यामते कि न मी रसी ज़-कनारे-मन न किनारे-मन
फ़िराक़ गोरखपुरी 

यही बदन की कशिश तुम्हारी
क़ुर्बत भी है दूरी प्यारी
यूँ तो तुम क़रीब ही अब हो
बाहों के घेरे में कब हो

Your body attraction is a wonder. 
Even nearness is distance yonder. 
Although you and me are near. 
Still not in an embrace dear. 


दर मज़हबे-मा बादः हलालस्त व लेकिन 
बे रुख़े-तू  ऐ  सर्वे-गुल  अंदाम  हरामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

मेरे  मज़हब  में हलाल है  मयनोशी  लेकिन 
हो जाती हराम तेरे सुन्दर क़द, रुख़ के बिन

गो शम्'अ मयारद दरीं बज़्म  कि  इम्शब
दरमजलिसे-मा माहे-रुख़े-दोस्त तमामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

कोई दिया जले न इस शबअब यूँ प्यारी महफ़िल में 
आज उजागर है मुखड़े का चाँद तुम्हारी महफ़िल में 


गुल दर बरो मय दर कफ़ो ब मा'शूका बकामस्त
 सुल्ताने-जहानम   ब   चुनीं    रोज़    ग़ुलामस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

हार गले में जाम हाथ में, मनचाहा माशूक साथ में 
इन लम्हों में है ग़ुलाम मेरा, दुनिया भर का सुल्तान मेरा

ज़बाने-किल्के-तू 'हाफ़िज़' चि शुक्रे-आँ गोयद
कि तुहफ़ः-ए-सुख़नश मी  बुरन्द  दस्त-ब-दस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

'हाफ़िज़' आख़िर शुक्र ख़याली कब तक तेरी करे ज़ुबाँ 
तोहफ़ा लेगा जब उसके कलाम का हाथों-हाथ जहाँ 

किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
आरज़ू लखनवी 

Who has jerked her wet tress, let drain. 
Dark clouds roared, it was torrential rain

ये जो नफ़रत के शरारे हैं हमारे दिल में 
आँसुओं से ही कभी इनको बुझा कर देखें 
प्रमोद शाह नफ़ीस 

These embers of hate that reside in heart. 
Let's douse with tears and make a start. 

दूरियाँ और बढ़ेंगी  जो  यूँ  ही  दूर   रहे
चन्द लम्हों के लिए पास तो आकर देखें 

Keeping distance, gaps will grow even more. 
For moments, let's come near on our part. 



कोई मेरी आँखों से देखता तेरी बज़्म-नाज़ की 
वुसअतें
वो हरेक गोशा मकाँ-मकाँ वो हरेक लम्हा ज़मन-
ज़मन
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Is some one used my eyes to see 
your graceful meeting expanse. 
Each corner is the sky itself, each moment an age in every sense. 


ब हस्त-ओ-नीस्त मरं जाँ ज़मीर व ख़ुश मी बाश
कि नीस्त  हस्त  सरंजामे-हर  कमाल  कि  हस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

मत कर मन को दुःखी जहाँ में हाँ ना का चक्कर कैसा 
हो भी गया कमाल कोई, तो अन्त सभी का होता
 ना

बियार   बादः    कि    दर      बारगाहे-इस्ताना 
चि पासबाँ व चि सुल्ताँ चि हुशियार व चि मस्त 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

मुझ को बस तुम मय दे देना, राजमहल, दरबार है क्या? 
हो  दरबान  कि राजा कोई, मस्त और  हुशियार है क्या? 

अगर वो पूछ लें हम से तुम्हें किस बात का ग़म है 
तो फिर किस बात का ग़म है अगर वो पूछ लें हमसे

If she simply asks, 
what hurts you which tasks? 
Then what's there to hurt,
If she asks as an expert. 


 च बालो-पर मरौ अज़ रह कि तीरे-पुर ताबे
हवा  गिरफ़्त  ज़माने  वले  ब ख़ाक निशस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

उसके बालो-पर की ताक़त तेरा रस्ता भुला न दे
वही ख़ाक में आन मिले हैं जो तेज़ी से तीर चले

अज़ ईं रबाते-दीदर   चूँ   ज़रूरतस्त   रहील
रबाके-ताके-मई'श्त चि सरबलन्द व चि पस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

जब ऐसा कर लिया इरादा, इस सराय से जाना है
इस का छज्जा ऊँचा है या नीचा क्या बतलाना है

वसन्ते वासन्तीकुसुमसुकुमारैरवयवै-
र्भ्रमन्तीं कान्तारे बहुविहितकृष्णानुसरणाम्।
अमन्दं कन्दर्पज्वरजनितचिन्ताकुलतया
चलद्बाधां राधां सरसमिदमूचे सहचरी।। 

Radha hurt by arrows from sex God in spring. 
Searches for Krishna for pleasure to cling. 
In a forest full of yellow flowers of spring. 
Her friend located her and told this thing. 

जिस को अक्सर छुआ ख़यालों ने
आज उस को ही रू-ब-रू पाया
प्रमोद शाह नफ़ीस 

Often thoughts were blessed with touch
While today she is face to face as such. 
 

इक तेरे दर्दे- इश्क़ ने बदले हैं कितने भेष
अच्छा   बहाना   है  ये  ग़मे-रोज़गार  का
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Grief of your love has changed dresses en mass. 
What an excuse for worldly grief, what 
a class ! 

हवासे-ख़मसा पुकार उट्ठे यकज़बाँ होकर
कई सुबूत तेरी   ख़ूबी-ए-बदन   के   मिले
फ़िराक़ गोरखपुरी 

All the five senses have joined to make a roar. 
Many proofs of your beauty we could explore. 

शिगुफ़्तः शुद गिले-हम्रा व गश्त  बुलबुले-मस्त
सदा-ए-सरख़ुशी   ऐ   आ'शिक़ाने-बादः परस्त 
हाफ़िज़ शीराज़ी 
 
हो गई है मस्त  बुलबुल  खिले  गुलाबी  फूल 
छेड़ो राग ख़ुशी के आशिक़ मयनोशी से झूल

असासे-तौबः  कि दर  मुहकमी  चूँ संग   नमूद
बेबीं कि जामे-ज़जाजी चि गूनःअश बे शिकस्त 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

थी बुनियाद हमारी तौबा की पक्की पत्थर से जो
तोड़ दिया उसको शीशे के  छोटे प्याले  ने   देखो

 आ कोई नहीं जो साथ दे तेरा हरीमे-राज़ तक
बिखरे हुए महो-नुजूम देते हैं सब तेरा पता
फ़िराक़ गोरखपुरी 

None is there as yet
Who can keep it secret. 
Scattered stars 'n moon
Disclose the signs soon. 

हम जैसे अहले-नज़र को सुबूते-हक़ के लिए 
अगर रसूल न  होते तो   सुब्ह    काफ़ी    थी
जोश मलीहाबादी 

For observers like us as a proof of the Lord
Even without prophet, morn' was enough on record. 

इक इक कर सारे ग़म आए
मुमकिन हो तो आप भी आएँ
प्रमोद शाह नफ़ीस 

One by one all grieves have come. 
If it is possible, you too come. 

अब यादों के बाहर आ जा
कब तक ऐसे जी बहलाएँ

Come out of the memory cage. 
How long to amuse self, come. 


मुतरिब तूने खींच के रख दी कामते-राना की तस्वीर 
खिंचती हुई अलाप किसी की उठती हुई जवानी है
फ़िराक़ गोरखपुरी 

O singer! You have sketched her gorgeous height so well. 
Rising tune of someone 's spell 
is her rising youth swell. 

अभी तो ज़िक्रे-सहर दोस्तो है दूर की बात 
अभी तो देख तो जाओ बड़ी उदास है रात
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Still a context of morning. 
O friends is a distant thing. 
Come and observe it right. 
So melancholy is the night. 

इसी खण्डहर में कहीं कुछ दिए हैं टूटे हुए 
इन्हीं से काम चलाओ बड़ी उदास है रात

There are broken lamp chains. 
Somewhere in the remains. 
Let these serve you right. 
So melancholy is the night. 

तुम जुदा होगे तो हो जाएगी ये रात पहाड़ 
रात की रात ठहर जाओ कि कुछ रात कटे
फ़िराक़ गोरखपुरी 

At this time if you leave 
night mount will heave. 
If you stay this night, 
 will be spent so slight.  

आँ    चि    ऊ    रेख़्ता   ब   पैमानः-ए-मा नोशीदेम
अगर अज़ ख़ुमरे-बिहिश्तस्त व र अज़ बादः-ए-मस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

उसने जो प्याले में भर दी, हमने तो वो ख़ाली कर दी
था वो बहिश्त मय का ख़ुमार या मैख़ाने की थी बहार

ख़ंदः- ए- जामे- मयो-  ज़ुल्फ़ें-   गिरहगीरे -निगार
ऐ बसा तौबः कि चूँ तौबः-ए-'हाफ़िज़'  बे शिकस्त

मुस्कानों ने इन प्यालों की, आशिक़ के उलझे बालों की
तोड़ीं देखो तौबा कितनी, मय सी लय 'हाफ़िज़' की जितनी

उफ़ ये फ़रेबे-रंगो-बू अपनी शिकस्त आप हैं
बाद नज़र-ए-बहार बढ़ गई और उदासियाँ
फ़िराक़ गोरखपुरी 

O these deceits of colour, smell, 
Defeated by the self so well. 
Many folded became the gloom
After viewing the spring in zoom


ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं 
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं 
दाग़ देहलवी 

What a cover, she is affixed to split bamboo veil. 
Neither fully seen nor is well behind 
 the veil. 

हर साज़ पे होती नहीं ये धुन    पैदा
होता है बड़े जतन से ये गुन    पैदा
मीज़ाने-निशातो-ग़म में सदियों तुल कर
होता   है हयात में   तवाज़ुन    पैदा
फ़िराक़ गोरखपुरी 

By every instrument the tune can't be produced 
With persistent effort only, it  can be  deduced. 
For centuries weighed in pleasure and pain. 
Such a majestic balance in this life is produced 

आ'शिक़े रा कि चुनीं बादः-ए-शबगीर दहन्द
काफ़िरे-इ'श्क़ बुवद गर नबुवद  बादः परस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

जिस आशिक़ को मय का प्याला यूँ ही कोई
 दे जाएगा 
मयपरस्तम गर नहीं, इश्क़ का काफ़िर  वो 
कहलाएगा

बेरौ ऐ ज़ाहिद व   बर   दुर्दकशाँ ख़र्दा  मगीर
कि न दानन्द जुज़ीं तुह्फ़ा ब मा रोज़े-अलस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

ज़ाहिद तू ही बाहर हो जा, मत बादानोशों को 
कुछ कह
रोज़े-अज़ल से इसके सिवा हिस्से में क्या है तू
 कुछ कह

यूँ ज़ेरे-शफ़क़ पौ फटती है 
अनफ़ासे-सहर के झुरमुट में 
जैसे किसी शाहिद-राना ने
घूँघट - सा ज़रा सरकाया है
फ़िराक़ गोरखपुरी 

The  glow appears in horizon, 
under morning breaths cover. 
As if some beautiful dame
has just displaced  veil cover. 


है ख़्वाबों में उश्शाक़ मगर याद किसी की 
या दिल में है या दिल के क़रीं जाग रही है 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Lover is in dreams but someone 's memory sake. 
Resides within the heart or is near  heart, awake. 

तुझको करना है अगर तेरी ही शर्तों पे क़ुबूल 
ये सुहूलत तो मुझे सारा जहाँ देता है
अहमद फ़राज़ 

If I have to accept you on your terms. 
This facility the entire world confirms. 

नर्गिसश अर्बदः खी व लबश अफ़सोस  कुनाँ
नीमशब दोश ब बालीने-मन आमद बे निशस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

नैन ललकारते अफ़सोस बयाँ करते अधर
नीमशब वो मिरे सिरहाने जो   बैठी आकर

सर फ़रागोशे-मन आवर्द व  ब   आवाज़े-हज़ीं
गुफ़्ते ऐ आ'शिक़े-शोरिदः-ए-मन ख़्वाबत हस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बहुत दुःखी आवाज़ थी उसकी जब मेरे कानों में बोली
मेरे पागल आशिक़ अब भी सोए हो, मैं कब की
 सो ली


हसद चि मी बरी ऐ सुस्त नज़्म बर 'हाफ़िज़' 
क़बूले-ख़ातिरो-लुत्फ़े-सुख़न   ख़ुदा   दादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

'हाफ़िज़' से क्यूँ रश्क है तुम्हें सुस्त नज़्म के सौदागर 
उसे दिया ख़ुदा ने ख़ुद लुत्फे़-सुख़न का फ़न आकर

ज़ुल्फ़ आशुफ़्तः व ख़ी कर्दा व ख़ंदाँ लब व मस्त 
पैरहन चाक व ग़ज़ल ख़्वाँ व   सुराही   दर दस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बिखरी ज़ुल्फ़ें, होंटों पर मुस्कान लिए आती है
 पैरहन चाक, सुराही हाथ, ग़ज़ल जब गाती है

शिकस्ता और ना हमवार गोरिस्ताँ की दीवारें 
बताती हैं कि हद्द-ए-आलम-ए-फ़ानी यहाँ तक है 

Uneven, dilapidated graveyard walls. 
Delimit how far mortal human stalls.  

मजौ दुरुस्ती-ए-अ'हदे अज़ जाने-सुस्त निहाद
कि   ईं.  अ' जूज़ः अ'रूसे-हज़ार     दामादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

आस नहीं कुछ  अह्द की करना बेपैंदी की दुनिया में 
रही  हज़ार वरों की ये दुल्हन तुम  से पहले दुनिया में 

निशाने-अ'हदे-वफ़ा नेस्त  दर  तबस्सुमे-गुल
बिनाल बुलबुले-बेदिल कि जा-ए-फ़रियादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

नहीं निशान वफ़ा का कोई भी फूलों की मुस्कानों में 
चाहे जितना रो ले बुलबुल कर तू फ़रियाद बग़ानों में 

हाल का ज़ख़्म तो माज़ी से बहुत गहरा है 
आज ज़ख़्मी मिरा साया भी हुआ है यारो 
कृष्ण बिहारी नूर 
*
Fresh wound is pretty deeper than the past. 
Today my shadow too is wounded at last. 

नसीहते-कुनमत यादगीर व दर अ' मल आर
कि ईं हदीसे   ज़  पीरे-तरीक़तम      यादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

एक नसीहत देता हूँ मैं, करना अमल, न जाना भूल
एक पुराने दानीश्वर ने, बात कही   थी   ये    माकूल

रिज़ा बदादः बेदह  व   ज़   जबीं   गिरह   बेकुशाई
कि   बर    मनो-तू.   दरे-इख़्तियार    न    कुशादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 
*
माथे से ये गिरह हटा लो, उसने ख़ुद ही दिया, सम्भालो
हम तुम जैसों की ख़ातिर दर इख़्तियार कब खुला
 कि पा लो

इन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यूँ गिला हम को फिर हवा से रहे
जावेद अख्तर 

. In these lamps, oil was so scant. 
Why should wind bear complaint? 

तेरी क़ुर्बतें भी हैं दूरियाँ ये करिश्मः-ए-कशिशे-बदन
च क़यामत कि न मी रसी ज़ कनारे-मन-ब किनारे मन
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Your nearness is a distance dear 
Wonder of attracting bodies near
Is the doom still  far from me? 
That it can't even embrace me ! 

इक हल्क़ा-ए-ज़ंजीर  तो   ज़ंजीर    नहीं 
इक नुक़्तः-ए-तस्वीर  तो   तस्वीर    नहीं 
तक़दीर तो क़ौमों  की   हुआ   करती   है
इक शख़्स की क़िस्मत कोई तक़दीर नहीं 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

One loop of chain is never  total chain. 
One dot doesn't complete sketch main. 
Fortune belongs to the nation as such. 
One man's fate doesn't count so much. 

 शऊरे-इश्क़ की तकमील हो चुकी शायद 
न भूलता है कोई अब न याद आता है 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Probably discretion in love is well set
There's none in memory, none to forget . 
मुहब्बत अब मुहब्बत हो चली है
तुझे कुछ भूलता सा जा रहा हूँ 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Love is becoming love a little. 
Now I am forgetting you a little 

नज़र झुक गई और क्या चाहिए 
अब ऐ ज़िंदगी और क्या चाहिए 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

A downward glance, what else do you want?
Now tell O life, what else do you want ? 


वो एक मानी-ए-बेलफ़्ज़, एक राज़े-हयात
कुछ अपने दिल ने सुना, कुछ तिरी नज़र ने कहा
फ़िराक़ गोरखपुरी 
**
That wordless meaning, that mystery life substance. 
A little heard by my heart, a little said
 by your glance. 

कल रात को जो शख़्स ज़िया बाँट रहा था
क्यूँ दिन के उजाले में दिया ढूँढ रहा है ? 
साग़र सिद्दीक़ी 

That person who was distributing splendor last night. 
Why is he searching for a lamp in
 broad daylight ? 

दिलों में ज़ख़्म होंटों पर तबस्सुम 
उसी का नाम तो ज़िंदा-दिली है 
वाहिद प्रेमी

Smiling lips on a  wounded heart. 
I name it mirth, being so is an art. 

Transcreated by Ravi Maun 

गर कोई तारीफ़ करे तो झूमो मत झट , याद रहे
इस तारीफ़ के पुल नीचे मतलब का दरिया सदा बहे

(ख़याल मेरा नहीं है। मैंने इसे यह रूप दिया है।) 

If someone praises, don't  swing fast, simply just recall. 
A river of purpose flows under this bridge and that's all. 


साहिर' ये मेरा दीदा-ए-गिर्यां है और मैं 
सहरा में कोई दूसरा झरना तो है नहीं 
परवेज़ साहिर

O' Sahir'! It's me 'n my crying eyes after all 
In Sahra, there is simply no other waterfall ! 

नया ये साल आया है, गले मिल लें सभी से हम
गिले शिकवे मिटाएँ, गर कभी के दिल में बाक़ी हैं 
ये चादर ख़ूबसूरत याद की, फैली है जो दिल पर
कभी हम साथ थे, घूमे फिरे थे खुली गलियों में 
हैं कुछ अरमान मिल कर फिर किन्ही नन्हे फरिश्तों से
कि जिन के बाप माँ हैं दोस्त मेरे, पर वो नावाक़िफ़
कई हैं दोस्त ऐसे, जिन से बातें हो ही जाती हैं 
मगर हम रूबरू अब तक नहीं हो पाए, ये सच है
किसी को फ़ोन पर कुछ भेज देता हूँ, लिखा जो है
मुझे वो चाहते हैं, मेरे दिल में उनकी इज़्ज़त है
न जाने कब मिलूँ उनसे, न जाने कब मिलेंगे वो
मेरे मालिक ! ये दूरी अब मिटा दे वर्ष नूतन है! 
                          रवि मौन 





रवाँ अल्फाज सिमीं के, किसी झरने से बहते हैं 
किन्हीं पेड़ों के साए में बड़े आज़ाद रहते हैं 

Simmin's moving words flow from a waterfall. 
Under shade of some trees, are free after all. 

First couplet of your book transcreated by Ravi Maun. 
हम: आ'शिक़ ज़े यार-ए-ख़ुद रुख़-ए-मेहर-ओ-वफ़ा बीनद
ज़े यार-ए-ख़्वेश हैरानम न ईं दारद न आँ दारद
रूमी

 मेहर-ओ वफ़ा मिले हर इक आशिक़ यही चाहे 
 मैं अपने यार से हैराँ, न उसके पास ये न वो

Transcreated by Ravi Maun 

हर पत्ती बोझल हो के गिरी सब शाख़ें झुक कर टूट गईं 
उस बारिश ही से फ़स्ल उजड़ी जिस बारिश से तय्यार हुई 
महशर बदायूनी

Rain heavy leaves dropped , bent branches broke in spell. 
The rain that had nurtured this crop, destroyed it as well. 



यही काँटे तो कुछ खुद्दार हैं सहन-ए-गुलिस्ताँ में 
जो शबनम के लिए दामन को फैलाया नहीं करते 
*
Thorns in garden have self respect maintained by few. 
Who don't stretch their garb to collect drops of dew. 

प्रेम की धार में ज्ञान का इक दिया ! देखें कब तक जले, देखें कैसा लगे? 
आज ऊधव को भेजा वहाँ श्याम ने, जिन के तन - मन में केशव समाया हुआ! 
रवि मौन 

तूर ने जल के कहा गश में पड़े हो मूसा 
जल्वा-ए-यार का क्या ख़ाक तमाशा देखा
**
Burnt Toor out of resentment , to unconscious Mosses said. 
What a look at Him have you had, lying on an ash bed! 

(While transcreating I have tried to maintain double meanings of phrases "jal ke kaha and khak tamasha dekha".) 




ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है
वर्ना सूरज की कहाँ सालगिरह होती है
अज्ञात 

It's a world ritual, that is done.
When is anniversary of the sun? 

सभी मुश्किलों से लड़ने का मार्ग यही आसान।
जीवन भर का साथ तुम्हारा, प्यारी सी मुस्कान। 
रवि मौन 
*
Easy way to fight with problems all the while, 
Are your life long company 'n a lovely smile. 

क़दम क़दम पे दोनों जुर्म-ए-इश्क़ में शरीक हैं 
नज़र को बे-ख़ता कहूँ कि दिल को बे-ख़ता कहूँ 
फ़िगार उन्नावी

Step wise in the crime of love, both are taking part. 
Whether eyes are innocent, or blameless is heart? 

Transcreated by Ravi Maun 



धुंध माज़ी की वो आब-ए-चश्म से धोने लगा 
आइने में देख कर मुझ को कोई रोने लगा 
रतन कुमार रतन 

He started washing with tears the dust of past.
 Looking at me in mirror, someone cried at last. 

गो मैं रहा रहीने-सितम-हाय रोज़गार 
लेकिन तिरे ख़याल से ग़ाफ़िल नहीं रहा
ग़ालिब 
*
Though endebted to agony, work had brought. 
I have never been oblivious of your thought. 

मोहब्बत अब मोहब्बत हो चली है
तुझे कुछ भूलता सा जा रहा हूँ 
फ़िराक़ गोरखपुरी 
*
Love is now becoming love to it's full exntent. 
I have started forgetting you to some extent. 

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें 
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं 
**
Since long, your memories didn't even show. 
That I have  forgotten you, it's not even so. 

शुऊर-ए-इश्क़ की तकमील हो चुकी शायद
न भूलता है कोई अब न याद आता है
**
Probably thought of love is complete too. 
Now I neither remember nor forget you. 

इस दौर में ज़िंदगी बशर की
बीमार की रात हो गई है
*
The human life in this age ! 
Sick has reached night stage. 

हज़ारों ख़िज्र पैदा कर चुकी है नस्ल आदम की
ये सब तस्लीम लेकिन आदमी अब तक भटकता है

Human race has created thousand Khijras till now. 
It's agreed but the man wanders even now. 

आए थे हँसते-खेलते मयख़ाने में 'फ़िराक़' 
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गये

'Firaq' had come in tavern in playful mood. 
He has drunk and now is in serious mood. 
(He is drunk and now has started to brood.) 

हज़ार शुक्र कि मायूस कर दिया तूने 
ये और बात कि तुझसे बड़ी उम्मीदें थीं

A thousand thanks, you have turned desperate. 
Well, from you, I had many hopes O mate! 

वो एक मानी-ए-बेलफ़्ज़, एक राज़े-हयात
कुछ अपने दिल से सुना, कुछ तिरी नज़र ने कहा
फ़िराक़ गोरखपुरी 
*
That secret of life is a wordless meaning part.
Some told by your eyes, some heard 
by heart. 

ज़रा विसाल के बाद आईना तो देख ऐ दोस्त 
तिरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Look at your self in the mirror after meeting O mate! 
Beauty of your maidenhood is in a better state. 

Transcreated by Ravi Maun 
 





ये तस्वीरें ज़ाहिर तो बहुत ख़ामोश रहती हैं 
मगर अहल-ए-नज़र देखें तो दिल की बात कहती हैं
*
These murals always appear to be mum. 
For gifted observers, have a tune to hum. 

बिखेर दे जो वो ज़ुल्फ़ों को अपने मुखड़े पर
तो मारे शर्म के आई हुई घटा फिर जाय
मुसहफ़ी

If she scatters the tress on her face. 
Out of shame, dark clouds 'll retrace. 

ठहर के पाँव के काँटे निकालने वाले 
ये होश है तो जुनूँ कामयाब क्या होगा 
राज़ रामपुरी
*
Stopping to take out thorns of feet ! 
How will sense and lunacy meet? 

कुफ़्र रीत क्या हौर इस्लाम रीत
हर इक रीत में इश्क़ का राज़ है
सुल्तान मोहम्मद क़ुतुब शाह

Whether it is Atheism or Islamic way. 
Everywhere secret of love has a say. 

मिलना तुमने का ग़ैर से कोई झूठ कोई सचमुच कहे
किस-किस का मुँह मूँदूँ सनम कोई कुछ कहे कोई कुछ कहे
शाह कुली ख़ां शाही
*
Your meeting with my rival, some say it's false, some true. 
O love! How can I shut all mouths? Some hold this, some that view? 

दिल की बस्ती भी शहर-ए-दिल्ली है
जो भी गुज़रा है, उस ने लूटा है ! 
बशीर बद्र 
*
My heart and Delhi city are similarly routed. 
Who ever has passed through, cruelly looted

अच्छा है दिल के पास रहे पासबान - ए-अक़्ल 
लेकिन कभी-कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
इक़बाल 
*
It's good that brain stands guard to heart. 
But at times, let these be standing apart. 

दिल तोड़ के जाने वाले सुन दो और भी रिश्ते बाक़ी हैं 
इक साँस की डोरी अटकी है इक प्यार का बंधन रहता है 
क़यूम नज़र
*
Although you have broken the heart but two relations yet remain. 
The chain of breath is yet intact, there still remains a love domain. 

मैंने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोई 
आज तक मसरूफ़ हूँ उस ख़्वाब की तकमील में 
आलम ख़ुर्शीद 

I had seen in childhood a dream incomplete . 
Till today, I am busy making it complete. 

दीदनी है शिकस्तगी दिल की 
क्या इमारत ग़मों ने ढाई है ! 
मीर तक़ी मीर 
*
Majestic is show of breaking the heart. 
Razing this house by griefs is an art ! 

चमन पे ग़ारत-ए-गुलचीं पे जाने क्या गुज़री
क़फ़स से आज सबा बेक़रार गुज़री है

I know not what ruin has the gardener inflicted. 
Today, through prison, breeze has distress depicted. 

ज़िंदगी जब अज़ाब होती है 
आशिक़ी कामयाब होती है 
दुष्यंत कुमार

When life is in distress. 
Then love is a success. 

फ़ितरत-ए-आदम में थी अल्लाह क्या नश्वोनुमा
एक मुट्ठी ख़ाक यूँ फैली कि दुनिया हो गई 
साक़िब लखनवी 

O God! Nature of Adam had unique way to grow. 
A fistful of dust covered the world with it's flow. 

हमनशीं ! कुंज-ए-क़फ़स में मुतमइन हो कर न रह
वर्ना हर्फ़ आएगा तेरी जुर'अत-ए-परवाज़ पर
माहिर-उल-क़ादरी
*
O mate! Behind bars, don't be content' n stay. 
Or your courage to fly out will lose it's say. 

मुतमइन इंसान इस दुनिया में हो सकता नहीं 
मुतमइन होना है कुछ दिन दिल को बहलाने का नाम 

 No one in this world can always be content. 
To be content is cajoling heart to an extent. 

हम आ भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम 
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता 
अकबर इलाहाबादी 
*
I get a bad name, even heaving a sigh. 
She murders, but no one blinks an eye. 

इस का रोना नहीं क्यूँ तुम ने किया दिल बर्बाद 
इस का ग़म है कि बहुत देर में बर्बाद किया 
जोश मलीहाबादी 
*
I don't cry, why did you ruin my heart? 
My trouble is, you took so long to start. 

मेरी बर्बादियों का हमनशीनो ! 
तुम्हें क्या, ख़ुद मुझे भी ग़म नहीं है।
मजाज़ लखनवी 
*
O colleagues! About my ruined state. 
Why you, even I amn't troubled O mate. 

क्या पूछता है तू मेरी बर्बादियों का हाल? 
थोड़ी सी ख़ाक ले के हवा में उड़ा के देख। 
*
About my ruined condition, why do you ask?
Take a pinch of dust, let wind do the task. 

तुझ को बर्बाद तो हर हाल में होना था 'ख़ुमार '
नाज़ कर नाज़ कि उस ने तुझे बर्बाद किया 
ख़ुमार बाराबंकवी 
*
O 'Khumar'! You were to be ruined any way. 
Well, she has ruined you, feel proud to say ! 

न दिल को है सबात न हम को है ऐतबार 
किस बात पर चमन हवस-ए-रंग-ओ-बू करें

Neither heart is stable, nor I have the belief 
How can gardens lust for color 'n fragrance fief? 

काबा जाने से नहीं कुछ शैख़ मुझको इतना शौक़ 
चाल वो बतला कि मैं दिल में किसी के घर करूँ 

O priest! For me, going to Kaaba is not 
a move so smart. 
Tell a move with which I can be seated in some one's heart. 

पहले आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती

I 'd laugh on the state of my heart. 
On nothing do I laugh anymore. 

काबा कि मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुम को मगर नहीं आती। 

What a face for Kaaba O' Ghalib '! 
You are not ashamed, as before. 





तुम्हारी याद में डूबे कहाँ - कहाँ से गए
हम अपने आप से बिछड़े कि सब जहाँ से गए
 सादिक़ नवाब सहर


वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से 
मैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता 
वसीम बरेलवी 

He was telling lies with a fine etiquette. 
What to do, if not believe him straight ? 

क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो 
ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो 
मियाँ दाद ख़ाँ सय्याद 

Qais is alone in the wild, let me go. 
Two crazies will have a lovely show. 

आँ बुत कि दिलम ज़ बहरे ऊ ज़ार शुदा अस्त
ऊ जा-ए-दिगर बग़म गिरफ़्तार शुदा अस्त
मन   दर-तलबे-इलाजे-ख़ुद  चूँ  कोशम
चूँ आँ कि तबीबे-मास्त बीमार शुदा अस्त
उमर ख़य्याम

वो मूरत जिसके लिए दिल ज़ार-ज़ार है
वो किसी दूजी जा  ग़म में गिरफ़्तार है
 अपने इलाज की मैं तमन्ना ही क्यूँ करूँ 
मेरा हकीम जो है, वो तो ख़ुद बीमार है

 ये जो नफ़रत के शरारे हैं हमारे दिल में 
आँसुओं से ही कभी इनको बुझा कर देखें
प्रमोद शाह नफ़ीस

These embers of hate 
In our hearts till date. 
Let's douse with tears, 
At times my dears! 


चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
फ़रहत अहसास 
*
River is troubled and moon is surprised as such. 
Whose shadow is in water, it's glowing so much ? 

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
फ़रहत अहसास 

I 'll rise tonight, so said that moon. 
Since eve' I am waiting, it isn't soon. 

किस क़दर नादिम हुआ हूँ मैं बुरा कह कर उसे 
क्या ख़बर थी जाते जाते वो दुआ दे जाएगा 
मोहसिन भोपाली 
*
I called him bad and now repent, it
 was due. 
That he 'll pray for me while leaving, who knew?

तिरे ग़ुरूर की इस्मत-दरी पे नादिम हूँ 
तिरे लहू से भी दामन है दाग़दार मिरा 
अकबर मासूम 

I am ashamed of raping your pride. 
Your blood has soiled my hem side. 

मैं सच से गुरेज़ाँ हूँ और झूट पे नादिम हूँ 
वो सच पे पशेमाँ है और झूट पर आमादा 
मुस्तफ़ा शहाब

I avoid truth and am ashamed of lie. 
He repents truth 'n is head bent to lie. 

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था
अदीम हाशमी 
*
Distances will be such, how could I determine. 
He was seated before me and wasn't mine. 

झूमते फूल माँगते हैं दुआ
अब हवा आए हम को बिखराने
O wind! Now scatter us far. 
Swinging flowers hum psalm. 

रिदाय लाला-ओ-गुल पर्द-ए-मह-ओ-अंजुम
जहाँ - जहाँ वो छुपे हैं अजीब आलम है
*
Sheet of daffodils, flowers, curtain of stars and moon. 
Wherever He is hidden, there is grandeur in bloom. 

हर इक शय में तुम मुस्कुराते हो गोया
हज़ारों हिजाबों में ये बेहिजाबी
*
As if you are smiling in everything. 
Face seen behind all covers that kling. 

सब को है तेरे जल्वा-ए-रंगीं की जुस्तजू
 ये कौन सोचता है कि ताब-ए-नज़र नहीं 
*
Every one wants to look at your colourful face. 
Who thinks, he does not possess this grace. 

 वो अपने दर के फ़क़ीरों से पूछते भी नहीं 
कि तुम लगाए हुए किस की आस बैठे हो
तअश्शुक़
*
She doesn't even ask the beggars at door. 
What is your wish, to whom you adore 

उन को आता है प्यार पर ग़ुस्सा
मुझको ग़ुस्से पे प्यार आता है
जिगर मुरादाबादी 
*
She gets angry on love. 
When she is angry, I love. 

कार फर्मा है फ़क़त हुस्न का नैरंग-ए-कमाल
चाहे वो शम्अ बने चाहे परवाना बने 
*
It's beauty that works, whatever the name. 
Whether it is moth or the candle flame. 

हम जिस के हो गये वो हमारा न हो सका
यूँ भी हुआ हिसाब बराबर कभी-कभी 
आल-ए-अहमद सुरूर
*
I became her's, she wasn't in my store. 
That's how sometimes one settles score. 

दुनिया तो चाहती है युँही फ़ासले रहें
दुनिया के मशवरों पे न जा उस गली में चल
निदा फ़ाज़ली
*
World wants distance between us to remain. 
Don't follow them, just get into her lane. 

अपने होने का कुछ अहसास न होने से हुआ। 
ख़ुद से मिलना मिरा इक शख़्स के खोने से हुआ 
मुसव्विर सब्ज़वारी
*
I got conscious of the self, having lost that state. 
I met myself when I had lost that person O mate! 

ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं 
फिर भी लोग खुदाओं जैसी बातें करते हैं 
इफ़्तिख़ार आरिफ़
*
They watch being shattered, unable to do a thing. 
Yet people boast of doing many a Godly thing. 

कौन ये जाने दीवाने पर कैसी सख़्त गुज़रती है
 आपस में कुछ कह कर हँसते हैं जाने पहचाने लोग 
राही मासूम रज़ा
*
Who knows how h is it uard befalls that crazy man. 
When talk and smile men of their own clan. 

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में 
रुक कर अपना ही इंतजार किया 
गुलज़ार 
*
Quite often, while on your route. 
I have waited for myself O cute ! 

तस्वीर के दो रुख़ हैं जाँ और ग़म-ए-जानाँ
इक नक़्श छुपाना है इक नक़्श दिखाना है 
जिगर मुरादाबादी 
*
Beloved and her separation are facets of one portrait. 
One shows it concealed, while other reveals it straight. 

वफ़ाओं के बदले जफ़ा कर रहे हैं
मैं क्या कर रहा हूँ वो क्या कर रहे हैं
हफ़ीज़ जालंधरी 
*
I am maintaining faith, get torture in exchange. 
What am I doing, watch what's her range? 

 उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो 
हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो 
अमीर मीनाई
*
Being faithful or faithless is equal in love art. 
Every thing is a pleasure if there's joy
 at heart. 

जफ़ा जो इश्क़ में होती है वो जफ़ा ही नहीं
सितम न हो तो मोहब्बत में कुछ मज़ा ही नहीं 
*
Torture in love is not a torture O mate! 
There's no joy in love, sans torture state

कुछ और इंतिज़ार कि फिर वस्ल-वस्ल है
क़िस्मत ने तेरे साथ ज़रा देर की कि बस

Just wait a little, then there's meeting 'n mating. 
The fortune has kept you two, too far waiting. 

साहिल के तलबगार ये पहले से जान लें
दरिया-ए-मोहब्बत में किनारे नहीं होते
*
Let them know before hand, who look for shore. 
This is the stream of love, where there's no shore. 

कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं 
नाख़ुदा जिन का नहीं होता ख़ुदा होता है
अमीर मीनाई 
*
All boats ultimately reach the shore. 
Those who miss sailor have God in store. 

सरकशी ख़ुदकुशी पे ख़त्म हुई 
एक रस्सी थी जल गई शायद 

The rebellion ended in suicide. 
It was a cord, probably burnt aside. 

ये लम्हा लम्हा ज़िंदा रहने की ख़्वाहिश का हासिल है 
कि लहज़ा लहज़ा अपने आप ही में मर रहा हूँ मैं 
मुशफ़िक़ ख़्वाजा

It's result of moment like wish to live on. 
That slowly I am dying with in my own. 

दिन तो फिर दिन है गुज़र जाता है
रात कटती है बड़ी मुश्किल से
नासिर कासगंजई
*
Day gets spent, come what may.
Night is difficult, prefers to stay. 

Day is spent, it's daylight. 
Hard to spend is the night. 

ग़ुस्सा क़ातिल का न बढ़ता है न कम होता है 
एक सर है कि वो हर रोज़ क़लम होता है 
मंज़र लखनवी 

Murderer's anger neither waxes nor gets waned. 
There is one heart which is every day slained. 

दरिया से इख़्तिलाफ़ का अंजाम सोच लो
लहरों के साथ - साथ बहो तुम नशे में हो
बशीर बद्र 
*
Going against the stream, feel like a chunk. 
Float with the waves man, you are drunk. 

बेहद शरीफ़ लोगों से कुछ फ़ासला रखो
पी लो मगर कभी न कहो तुम नशे में हो

Maintain distance with very cultured people. 
May drink, but never say you are drunk. 

काग़ज़ का ये लिबास चराग़ों के शहर में ! 
थोड़ा सम्भल-सम्भल के चलो तुम नशे में हो
*
This papery apparel in a city of lamps ! 
Step clearly with care, as you are drunk. 

दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है
जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है
बशीर बद्र 

Old Delhi and my heart are similarly routed. 
Whoever has passed through cruelly looted. 

बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से 
चमन में आ के भी काँटा गुलाब हो न सका
अमीर मीनाई
*
Change of company didn't alter the quality of those. 
Even in garden, the thorn couldn't become a rose. 

जैसे दो मुल्कों को इक सरहद अलग करती हुई 
वक़्त ने ख़त ऐसा खींचा मेरे उस के दरमियाँ 
मोहसिन ज़ैदी
*
Just as two nations are divided by a boundary line. 
Time has drawn between both of us a boundary line. 

तुम्हारे घर के सभी रास्तों को काट गई
हमारे हाथ में कोई लकीर ऐसी थी

All routes to your home were cut across. 
Some line in my hand was carved so gross. 

लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है 
*
As an ember in benzoin lamp kept tight. 
Your memory burns in my heart all night. 

तू एक हाथ में ले आग एक में पानी 
तमाम रात हवा में जला बुझा मुझको

With fire in the left hand and water in right. 
In air, you burn 'n douse me whole night. 

*लड़कियों के दुःख अजब होते हैं सुख उस से अजीब 
हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ - साथ
परवीन शाकिर 
*
Troubles of girls are strange and stranger their pleasure. 
Even while laughing, koel gets soaked in the measure. 

ग़ैर मुमकिन है तिरे घर के गुलाबों का शुमार
मेरे रिसते हुए ज़ख़्मों के हिसाबों की तरह
परवीन शाकिर 

My oozing wounds and roses in your home garden. 
Are impossible to count, keep coming so often. 

उस एक मोड़ पर जी भर के रोए हम दोनों
वहाँ से तेरे मेरे रास्ते बदलते हैं 

On that curve both of us wailed,, unfurld. 
From there two roads have gone to the world. 

आँखों से उतरे आँसू दिल में आए
रुख़ बदला है उल्टा अब दरियाओं ने 

Tears descended from eyes to heart. 
Streams have reversed it's flow to start. 

धूप की आग में हँसने की अदा क्या जाने 
जंगली फूल नहीं आपके गुलज़ारों में 
बशीर बद्र 
*
Style to smile in the fire of sun is unknown 
Wild flowers are missing in gardens you own. 

कहानियों का मुक़द्दर वही अधूरापन 
कहीं फ़िराक़ नहीं है कहीं विसाल नहीं 
बशीर बद्र 
*
Stories are destined to be incomplete. 
Either departure isn't in  or missing is meet. 

तमाम उम्र इसी एहतियात में गुज़री 
कि आशियाँ किसी शाख़-ए-चमन पे बार न हो
*
Life long I had cared for it so big. 
My nest should'nt burden any garden twig

मिरी निगाह किसी दूसरे को तकने लगी 
वो लड़की बैठ गई जब मिरे बराबर में 

My eyes located another one to see. 
When that girl  got seated near me. 

जो ज़हर हलाहल है अमृत भी वही लेकिन 
मालूम नहीं तुझ को अंदाज़ ही पीने के
*
What's poison is also nectar immune. 
But you don't know style to sip it in tune

न कोई वादा, न कोई यक़ीं, न कोई उमीद 
मगर हमें तो तिरा इन्तज़ार करना था
*
No promise, no belief, nor any hope. 
But I had to wait for you and cope. 

ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त 
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में 
*
Somehow I could spend days of life as yet. 
Whether it was to memorise you or to forget. 

FIRAQ GORAKHPURI 

उसे सैय्याद ने कुछ गुल ने कुछ बुलबुल ने कुछ समझा
चमन में कितनी मानीख़ेज़ थी इक ख़ामुशी मेरी
जिगर मुरादाबादी 
*
It was differently taken  by captor, flower and nightingale. 
My silence in the garden had for
 each a vivid tale. 

दोस्तों की दोस्ती में कुछ सितम ऐसे सहे
दुश्मनों की दुश्मनी का भी गिला जाता रहा
*
Some suffering from friends has hurt so much. 
It erased traces of pain from foes as such. 

पास था नाकामी-ए-सय्याद का ऐ हमसफ़ीर
वर्ना मैं और उड़ के आता चन्द दानों के लिए 
*
The thought of failure of my captor remains. 
Or else I won't have dived for petty grains. 

दूर बजती थी रात शहनाई 
रोया पी कर बहुत शराब कोई 
जावेद अख्तर 
*
At night clarinet tunes drifted along. 
He drank a lot and wailed for long. 

आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं 
मह्व-ए-हैरत हूँ ये दुनिया क्या से क्या हो जाएगी
इक़बाल 
*
Whatever these eyes can see, the lips just fail to tell. 
Changes that world goes through, leave me in a spell. 

अपनी हस्ती का सफ़ीना सू-ए-तूफ़ाँ कर लें
हम मोहब्बत को शरीक-ए-ग़म-ए-इंसाँ कर लें
मजाज़ लखनवी 
*
Let's steer the ship of our life towards storm. 
Include love and human sorrow within one norm. Y6

दिल संग-ए-मलामत का हर-चंद निशाना है 
दिल फिर भी मिरा दिल है दिल ही तो ज़माना है 
जिगर मुरादाबादी 
*
 Though my heart is targeted by stones of blame. 
Yet my heart is mine, with it is the world game. 

दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर
मेरी तरह ख़ुदा का भी ख़ाना ख़राब है
अब्दुल हमीद अदम 

It pleases me to see a desolate mosque as I roam. 
State of house of Lord is no different from my home. 

ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर 
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
ग़ालिब 
*
O priest! Inside mosque, let me sit and drink. 
Or mention a place with which God has no link. 

दिल गया रौनक़-ए-ह्यात गई
ग़म गया सारी कायनात गई
जिगर मुरादाबादी 

Love goes, all pleasures of life lose role
Without pain, universe is lost as a whole. 

रौ में है रख़्श-ए-उम्र कहाँ देखिए थमे
ने हाथ बाग पर है न पा है रिकाब में
ग़ालिब 
*
Horse of life is running, none knows where it stands. 
Feet are out of stirrups 'n reins are 
not in hands. 

ख़ुश्बू को तितलियों के परों में छुपाऊँगा
फिर नीले-नीले आस्माँ में लौट जाऊँगा 
बशीर बद्र *
*
Hiding fragrance in butterfly wings O pal. 
Back to blue sky I' ll return after all. 

इक पल की ज़िंदगी मुझे बेहद अज़ीज़ है
पलकों पे झिलमिलाऊँगा और टूट जाऊँगा 
*
Life of a moment to me is so dear 
I 'll dazzle on eyelashes and then fall. 

दीवाना वार मुझ से लिपट जाएगी हवा
मैं सुर्ख़-सुर्ख़ फूलों में जब मुस्कराऊँगा

When I' ll smile in bright red flowers. 
Madly the wind 'll embrace after all.

 दिल संग-ए-मलामत का हर-चंद निशाना है 
दिल फिर भी मिरा दिल है दिल ही तो ज़माना है 
जिगर मुरादाबादी 
*
 Though my heart is targeted by stones of blame. 
Yet my heart is mine, with it is the world game. 

दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर
मेरी तरह ख़ुदा का भी ख़ाना ख़राब है
अब्दुल हमीद अदम 

It pleases me to see a desolate mosque as I roam. 
State of house of Lord is no different from my home. 

ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर 
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
ग़ालिब 
*
O priest! Inside mosque, let me sit and drink. 
Or mention a place with which God has no link. 

दिल गया रौनक़-ए-ह्यात गई
ग़म गया सारी कायनात गई
जिगर मुरादाबादी 

Love goes, all pleasures of life lose role
Without pain, universe is lost as a whole. 

रौ में है रख़्श-ए-उम्र कहाँ देखिए थमे
ने हाथ बाग पर है न पा है रिकाब में
ग़ालिब 
*
Horse of life is running, none knows where it stands. 
Feet are out of stirrups 'n reins are 
not in hands. 

ख़ुश्बू को तितलियों के परों में छुपाऊँगा
फिर नीले-नीले आस्माँ में लौट जाऊँगा 
बशीर बद्र 
*
Hiding fragrance in butterfly wings O pal. 
Back to blue sky I' ll return after all. 

इक पल की ज़िंदगी मुझे बेहद अज़ीज़ है
पलकों पे झिलमिलाऊँगा और टूट जाऊँगा 
*
Life of a moment to me is so dear 
I 'll dazzle on eyelashes and then fall. 

दीवाना वार मुझ से लिपट जाएगी हवा
मैं सुर्ख़-सुर्ख़ फूलों में जब मुस्कराऊँगा

When I' ll smile in bright red flowers. 
Madly the wind 'll embrace after all. 

दीनार-ए-सुर्ख़ बरसेंगे आँगन में सारी रात
मैं ख़्वाब के शजर की वो शाखें हिलाऊँगा

Golden dinaars will rain in courtyard. 
I' ll shake branches of dream tree after all. 

जाए क्यों कर बाग़ से वो क़ैदी-ए-ज़ीन्दान-ए-इश्क़
उल्फ़त-ए-गुल हो गई ज़ंजीर-ए-पा-ए-अन्दलीब
रिन्द 

How can a prisoner of love for garden fly out of jail? 
Love for flowers is now a chain on feet of nightingale. 

वाइज़-ओ-साक़ी में ज़िद है बादाकश चक्कर में है। 
तौबा लब पर और लब डूबा हुआ साग़र में है 

Tiff in priest 'n bar-maid has left drunkard in a fix. 
There's penance on his lips dipped
 in a drink-mix. 

आवारगी से ख़ुश हूँ मैं इतना कि बाद-ए-मर्ग
हर ज़र्रा मेरी ख़ाक का होगा हवा-परस्त
सौदा

I am a happy vagabond, after death as it must. 
With wind 'd love to loiter in every speck of dust. 

उन का ज़िक, उन की तमन्ना, उन की याद 
वक़्त कितना क़ीमती है आजकल

Her talks, desire and memories are prime. 
How precious these days is my time ! 

गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़ 
काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं 
जिगर मुरादाबादी 
*
I love the garden, not flowers alone. 
Living with thorns, I don't bemoan. 

यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
*
I am just passing life without you. 
As if committing a crime unknown. 

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है 
ग़ालिब 
*
There's a glow on my face, when she is in view. 
I am no longer sick, she holds  that view. 

वो जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने 
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
मुज़फ़्फ़र रज़्मी
*
 The eyes of calendar have witnessed such torture. 
For fault of a few moments, centuries had to suffer. 

बयान-ए-कैफ़-ए-मय-ए-इश्क़ हो नहीं सकता
कि दायरे अभी महदूद हैं ज़बानों के
बेताब अज़ीमाबादी 
*
Pleasure of wine of love just can't be defined. 
The boundaries of languages are very confined. 

शिकस्त-ओ-फ़त्ह नसीबों से है वले ऐ 'मीर' 
मुक़ाबला तो दिल-ए-नातवाँ ने ख़ूब किया 
मीर तक़ी मीर 
*
Victory or defeat depends on fate. 
The weak-hearted faught a lot O mate.

जाए क्यों कर बाग़ से वो क़ैदी-ए-ज़िन्दान-ए-इश्क़
उल्फ़त-ए-गुल हो गई ज़ंजीर-ए-पा-ए-अन्दलीब
रिन्द 

How can love-caged lover leave garden and fly? 
Love for flowers has chained nightingale to a tie. 

 मुसाफ़िर हो तुम भी मुसाफ़िर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
बशीर बद्र

 You are a passenger and so am I. 
On some intersection, we shall tie
मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतने थे 
दिल भी यारब कई दिए होते 
मिर्ज़ा ग़ालिब 

In my fate, if there were many sorrow darts. 
O Lord! You should have given many hearts. 

शबे-तारीको बीमे-मौजो-गिर्दाबे-चुनीं हाइल
कुजा आनन्द हाले-मा सुबुक साराने-साहिल हा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

रात अंधेरी, लहर भयानक, पड़े भँवर के इसमें जाल
जो ठहरे बे फ़िक्र तटों पर, कैसे समझें मेरा हाल

जब गहरे समुद्र से पृथ्वी को वराह ले आएँ
मुग्ध हुई धरती बोलीं स्वामी मुझको अपनाएँ
किया विवाह और मंगल सुत जन्मा प्रेमाधार। 
अब लीला समाप्त हो आई हरि कर रहे विचार। 
प्रेम के भूखे कृपा निधान। 
भक्त के वश में हैं भगवान। 

मरा दर मंज़िल-जानाँ चि अम्नो-ऐ'श चूँ हरदम
जरस फ़रियाद मई दारद कि बर बन्दी मह्मिलहा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

जानाँ की मंज़िल में भी तुमको सुकून क्या मिल पाएगा? 
जीन कसो चलने की ख़ातिर, बार-बार वह दोहराएगा। 

वामन रूप धरे पहुँचे बलि यज्ञस्थल भगवान। 
माँगे केवल तीन डग, शुक्र गए पहचान। 
अरे विष्णु हैं यह  नहीं छोड़ेंगे कुछ पास। 
दान पात्र इन सा कहाँ यह बलि का विश्वास। 
इक पग में मापी धरा दूजे में आकाश। 
कहाँ तीसरा पग धरूँ हरि चेहरे परिहास। 
रखें इसे मम शीश पर मैं हो जाऊँ निहाल। 
हो प्रसन्न हरि ने कहा राज्य तेरा पाताल। 
हैं प्रसन्न मुझ पर अगर दीजे यह वरदान। 
दर्शन पाऊँ हर सुबह तेरा हे भगवान। 
चार द्वार पाताल भवन के मैं निकलूँ जिस द्वार। 
देख सकूँ मैं आपको जगत पिता करतार। 
द्वारपाल पाताल के रहे विष्णु बहु काल। 
लक्ष्मी जी बैकुण्ठ को सकें न स्वयम् सम्भाल। 
राखी बलि को बाँध कर बोलीं दो यह दान। 
द्वारपाल दे दो मुझे, बहना यह अहसान ! 
इन सम दूजा कौन है जिसे कर सकूँ दान। 
विव्हल से बलि हो गए लख लक्ष्मी मुस्कान। 

हुज़ूरी गर हमी ख़्वाही अज़ू ग़ायब मशौ 'हाफ़िज़' 
मिता मा तलक़े मन तहवा दउल दुनिया ब अमहिलहा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

दर्शन हाफ़िज़ ' यदि तू चाहे आज खोल दे परदा सारा
भूल जगत को छोड़ सभी को जब हो प्रिय से मिलन तुम्हारा। 

ऐ असेकन! ऐ असेकन! हंगाम-ए-कुक अस्त अज़ जहाँ
दर गुस-ए-जान-अम मिरासद तब्ल-ए राहिल अज़ आस्माँ
रूमी

ऐ प्रेमी! ऐ प्रेमी! जग को छोड़ चलो अब वक़्त हुआ 
मेरी रूह के कानों ने जन्नत के ढोल का शोर सुना

परसाई की जवाँमर्गी न पूछ
तौबा करनी थी कि बदली छा गई 
अख़्तर शीरानी

 Don't ask why good conduct did in youth die? 
I abstained and dark clouds covered 
the sky. 

ख़ारज़ारों का भला हो हौसला देने लगे
आबले मंज़िल की दूरी को दुआ देने लगे

 Thorns be blessed for encouraging all the way. 
Opened blisters prayed for my distant stay. 

कभी पाओं में पड़ते हैं कभी दामन पकड़ते हैं 
कोई मेहमाँ-नवाज़ी सीख ले ख़ार-ए- बयाबाँ से

They lay on your feet  and cling to the dress. 
Host quality of thorns is a lesson to impress. 

हमः कारम ज़ ख़ुदकामी ब बदनामी कुशीद आख़िर 
निहाँ के मानद आँ राज़े कि ज़बे साज़न्द महफ़िलहा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

आख़िर ख़ुदगरज़ी से ही बदनाम हुए हैं सारे काम
हो महफ़िल जिससे गर्म, सार वो छुपना कब अंजाम 

सबा ब लुत्फ़ बेगो आ ग़ज़्ज़ाले-राना रा
कि सर ब कोहो-बियाबाँ तू दादः मा रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

बादे सबा मीठे सुर में कहना सुन्दर ग़ज़्ज़ाला को
मेरा सर सुपुर्द कर डाला जंगल, पर्वत माला को

उनके पीछे न चलो उनकी तमन्ना न करो 
साए फिर साए हैं कुछ देर में ढल जाएँगे 
शहर यार 

Neither have their desire nor just follow 
After all it is shadow, time will swallow. 

वो रही सरहदे-ज़मानो-मकाँ
क्या अभी और इन्तिज़ार करें
फ़िराक़ गोरखपुरी 

That's the limit of space and time. 
Should we wait for some more time? 

यूँ 'आबरू' बनाए दिल में हज़ार बाताँ
जब तेरे आगे आवे गुफ़्तार भूल जावे
शाह मुबारक आबरू

'Abruu' makes a thousand talks in mind. 
When confronts you, talk skips his mind. 

कहते तो हो यूँ कहते, यूँ कहते जो वो आता
सब कहने की बातें हैं कुछ भी न कहा जाता
मीर तक़ी मीर 

You say that would say so, that way if she came 
It's just for the talks, would say nothing in name. 

तुम मुखातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
फ़िराक़ गोरखपुरी 

You confront me and are also so near. 
Should I  watch or talk with you dear ! 

ज़रा विसाल के बाद आईना तो देख ऐ दोस्त 
तिरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Look into the mirror after meeting him now. 
Beauty of your maidenhood is bettered somehow. 

मुहब्बत अब मुहब्बत हो चली है 
तुझे कुछ भूलता सा जा रहा हूँ 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Probably thought of love is complete too. 
Now I neither remember nor forget you. 
(I am almost forgetting you. 

ब शुक्रे- आँ कि तू ई बादशाहे-किश्वरे-हुस्न
ब याद आर ग़रीबाने - दश्तो-सहरा रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

इसी बात का शुक्र कि तू ही रूपनगर का बादशाह है
याद रखो जंगल सहरा में, परदेसी की यही चाह है

कचरे में फेंकी रोटी बस करती यही बयाँ
भरे पेट औक़ात भूलते कितने ही इंसाँ

शकर फ़रोश कि उ'म्रश दराज़ बाद
 चि रा
तफ़क़्कुरे न कुनद तूती - ए-शकर ख़ारा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

उम्र बढ़े शक्कर फ़रोश की यही दुआ है ख़ुदा रा
सुध शक्कर खाने वाले तोते की ली न दोबारा 

ग़रूरे-हुस्न इजाज़त मगर न दादः-ए-गुल
कि पुर्सिशे-नकुनी अ' न्दलीबे-शैदा रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

ग़ुरूर-ए-हुस्न से तुझको इजाज़त कब मिली ऐ गुल
न सुध-बुध ली कभी उसकी तिरी दीवानी थी बुलबुल 

ब हुस्ने-ख़ुल्क़ तवाँ कर्दम सैद अह्ले-नज़र
ब दामो-दानः नगीरन्द मुर्गे़-दाना रा
 हाफ़िज़ शीराज़ी 

शैदाई कितनों को आख़िर हुस्ने-ख़ुल्क़ कर सकता है
अहले--नज़र कब दानों के चक्कर में आकर फँसता है

आज ऐ दीदा-ए-इबरत जिनको दफ़्न हुए सदियाँ गुज़रीं
ख़ाक इन सोज-निहाँ  वालों को अब भी धुवाँ
दे जाती है 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Those who perceived others grief,were engraved centuries back. 
Dust smokes them clean even now, who carry hidden grief sack. 

मेरे पास धरा ही क्या है दर्द भरी कुछ सौगातें 
जिनके दम से रुख़े-हस्ती पर देखो क्या ताबानी है
फ़िराक़ गोरखपुरी 

What's there left with me, but for some gifts full of grief. 
These impart on face of life, a glow that enlightens it's fief. 

है ख़्वाबों में उश्शाक़ मगर याद किसी की
या दिल में है या दिल के क़रीं जाग रही है
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Lovers were in dreams, but memories of someone. 
Stay within the heart, or are awake nearby as one. 

दूरी हुई तो उस के क़रीं और हम हुए
ये कैसे फ़ासले थे जो बढ़ने से कम हुए
अज्ञात 

While distanced, I came nearer still. 
What a gap that grew and led to fill. 

चू बा हबीब नशीनी ब बादः पैमाई
ब याद आर हरीफ़ाने-बादः पैमा रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

सभी हरीफ़ बैठ कर जब तुम करते हो बादः पैमाई
इस आवारा को भी रख ले याद कभी तू ऐ सौदाई

न दानम अज़ चि सबब रंगे-आश्नाई नेस्त
सही क़दमे-स्याह चश्म व माह सीमा रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

अपनेपन का रंग नहीं है क्यों आख़िर बतलाओ तो
काली आँखें, चाँद से चेहरे वालो ये समझाओ तो

जुज़ ईं क़द्र न तवाँ गुफ़्तम दर जमाले-तू ऐब 
कि ख़ाले-मेह्रो-वफ़ा नेस्त रू-ए-ज़ेबा रा 
हाफ़िज़ शीराज़ी 

ऐब नहीं तेरे चेहरे पर नहीं हुस्न में कमी कोई 
नहीं वफ़ा या मेहर का कहीं तिल चेहरे पर तिरे कोई 

दर आस्माँ चि अ'जब गर ज़ गुफ़्तः-ए-हाफ़िज़
सुरूदे-जुह्रः  ब रक्स  आवर्द  मसीहा  रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

अजब नहीं गर हाफ़िज़ के कलाम को सुन कर नील गगन में 
गा गा कर के शुक्र नचा दे, उट्ठे झूम मसीहा मन में 

रौनक़े-अह्दे-शबाबस्त  दिगर  बस्ता  रा
मी रसद मुज़्दः-ए-गुल बुलबुले-ख़ुश इल्हा रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

सारे बाग़ीचे में फिर  रौनक़ छाई है जवानी की
मीठे सुर की बुलबुल को है गुल सन्देश कहानी सी

पुकारती है न दरवाज़ा खटखटाती है
बड़े घमंड से याद उसकी दिल में आती है
आरज़ू लखनवी 

Neither it calls nor knocks at the door. 
With pride, her memory gets at heart core. 

रेल की सीटी में कैसी हिज्र की तमहीद थी
उसको रुख़सत करके लौटे तो ये अन्दाज़ा हुआ 
परवीन शाकिर 

How railway whistle marked the start of separation. 
When I got back home, it entered my thought fasion. 

बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूम 
जो तेरे हिज्र में गुज़री वो रात रात हुई 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

The love could after very many days only know
Just that night counts which  your parting' d show. 

दिल की उलझन न पूछिए उम्मीद 
हम न ख़िलवत के हैं न महफ़िल के

 About heart perplexity don't ask loud.
Neither I belong to privacy nor crowd. 

ऐ सबा गर कि जवानाने-चमन बाज़ रसी
ख़िदमते-मा  बिरसाँ  सर्वो  गुलों  रीहाँ रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

ऐ सबा गर पास निकलो नौजवानों के चमन में 
सर्व से क़द वाले, गुल से कह ही देना तुम नमन में 

तरसम आँ क़ौम कि बर दुर्दकशाँ मई खंदंद
दर  सरे- कारे - ख़राबात  कुनद  ईमाँ  रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

डर है क़ौम हँसा करती जो तलछट पीने वालों पर
अपना मज़हब खो न दें वो मयख़ाने के प्यालों  पर

बिरौ अज़ ख़ानः-ए-गर्दू बदर व नाँ मतलब
कीं' स्याह कासः आख़िर बेकशुद मेह्माँ रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

उससे मत माँगो तुम रोटी अर्श महल से आओ बाहर
मार डालता है वो लोभी, अपने मेहमानों को आख़िर 

गर  चुनीं  जल्वः  कुनद  मुग़बच्चः  बादः  फ़रोश
  ख़ाकरोबे-दरे-मयख़ानः   कुनम  मिज़्गाँ   रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

अपना जलवा दिखलाए बादः फ़रोश का बच्चा गर
मयख़ाने के  लगूँ  झाड़ने  मैं अपनी  पलकों  से दर

तिरी तरह नहीं तोड़ा कभी किसी का दिल
जो हम ने तोड़ी भी तौबा तो क्या हुआ वाइ'ज़
जिगर बिसवानी

I didn't break anyone's heart to the core. 
What if I break promise not to sin any more. 

न शवी वाक़िफ़े-यक-नुक्तः ज़ अस्रारे-वजूद
गर तू सरगश्तः. शवी  दायरः - ए-इम्काँ  रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

न भेद वुजूद के जानेगा, न मर्म कभी पहचानेगा
तू फेरे युँही लगाएगा, दायरः - ए इम्काँ बढ़ाएगा

हरकश ख़्वाबगाहे-आख़िर बदो मुश्ते ख़ाकस्त
गो  चि हाजत कि बर अफ़लाक  कशी ईंवा रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

सब की ख़ातिर जब कि नींद का अन्त राख की मुट्ठी है
फिर क्यूँ ऊँचे महल बन रहे सुलझाओ क्या गुत्थी है ? 

आकाशों के पातालों के दिल का चोर निकाला किसने
ख़ाली था भरकर छलकाया इस जीवन का प्याला किसने? 
फ़िराक़ गोरखपुरी 

Who took out thieves of heart from under world 'n sky O man. 
Who filled up the empty cup of life 
and let it spill O man? 

तू सूरज की वो कटी पसली जो कोख बनी तहज़ीबों की
गोद में पलते खिलते हैं हर इल्मो-अमल हर जादू-ओ-फ़न
फ़िराक़ गोरखपुरी 

You are that broken rib of sun, womb from which cultures' ve begun. 
In whose lap 've played and bloomed art, magic, knowledge and fun. 

तिरे आज़ाद बन्दों की न ये दुनिया न वो दुनिया
यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबन्दी 
इक़बाल 

For your free men O Lord, neither this world nor that 'd care. 
It's restriction of life here, there's restriction of death there. 

यारे-मर्दाने-ख़ुदा बाश कि दर कश्ती - ए-नूह
हस्त   ख़ाके   कि  बाबे  न  ख़िर्द  तूफ़ाँ   रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

दोस्त बनो तुम ख़ालिक़ के ही क्यूँ कि नूह की कश्ती में 
वो मिट्टी भरी हुई है जो तूफ़ाँ को बूँद जितना माने

दर सरे-ज़ुल्फ़  नदानम  कि  चि  सौदादारी
कि बहम बरज़दः ए गेसू-ए-मुश्क अफ़्शां रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

जाने कैसा पागलपन है जो तुमने इन कालों को
बिखरा कर रक्खा है  तूने  इन कस्तूरी बालों को

'हाफ़िज़' मय ख़ूर व रिन्दी कुन व ख़ुश बाश वले
दामे-तज़्वीज़    मकुन    चूँ   दिगराँ   क़ुर्रा    रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

'हाफ़िज़' तू तो मयनोशी कर के रहना ख़ुशहाल 
मत औरों की तरह करो पाखण्ड चैन का जाल

मुल्के-आज़ादगी व कुंजे-क़नाअ'त गंजेस्त
कि ब  शम्शीर मयस्सर न शवद  सुल्ताँ  रा
हाफ़िज़ शीराज़ी 

आज़ादी का मुल्क और सन्तोष का एक ठिकाना
सुल्तानों की शमशीरों के हाथ कभी नहीं  आना

बेया कि क़स्रे-अ' मल सख़्त सुस्त बुनियादस्त
बियार   बादः. कि   बुनियादे-उ'म्र   बर बादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

आजा मेरी तमन्ना की कुटिया बालू पर खड़ी हुई है 
मय पीने दे इस जीवन की नींव हवा पर पड़ी हुई है 

ग़ुलामे-हिम्मते-आनम   कि   ज़ेरे-चर्ख़े-क़बूद
ज़ हर चि रंगे-तआ'ल्लुक़ पज़ीरद आज़ादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

उसकी हिम्मत का ग़ुलाम जो आस्माँ तले खड़ा हुआ है 
जो आज़ाद तआ' ल्लुक़ के रंगों से यूँ ही पड़ा हुआ है

उल्फ़त-ए-'गेसू' ने आख़िर दी मिरे दिल को शिकस्त 
हाय क्या अनमोल शीशा था मगर 'बाल' आ गया 

Love of' tress' has lead to a defeat
 of my heart. 
Oh what a priceless glass 'stressed' open to mart! 

'टूटा' जो काबा कौन सी ये जा-ए--ग़म है शैख़
कुछ क़स्र-ए-दिल नहीं कि 'बनाया' न जाएगा 
क़ायम चाँदपुरी

 What if Kaba is' razed' O priest why worry about loss now. 
It isn't the palace of heart that can
 not be' raised 'anyhow. 

च गोयमत कि ब मयख़ानः दोश मस्तो-ख़राब
सरोशे-आलमे-ग़ैबम    चि    मुज़्दहा   दादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी  

मैं मयख़ाने में जब मस्त पड़ा था कल तो क्या बतलाऊँ
एक फ़रिश्ता उस आलम से लाया क्या सन्देश सुनाऊँ 

कि ऐ बलन्द नज़र शाहबाज़े-सिद्रः. नशीं
नशेमन-तू   न   ईं    कुंजे  मेह्नता बादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

कि ऐ बलन्द नज़र शाहबाज़े-सिद्रः नशीं
कि इस ज़मीन का कोना तिरे लिए तो नहीं 

तुरा   ज़   कुंग्रा-ए-अ'र्श   मी   ज़न्द सफ़ीर
न दानमत किं दर ईं दामगाह चि उफ़्तादस्त
हाफ़िज़ शीराज़ी 

आसमान के इक छज्जे से पूछ रही है इक आवाज़ 
बतला क्यूँ है तहेदाम तू नहीं समझ आता  ये  राज़

छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था
अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए
जावेद अख्तर 

One whom you had left was another man. 
Now I am someone else, return and scan. 

शब है इस वक़्त कोई घर न खुला पाओगे 
आओ मयख़ाने का दरवाज़ा खुला है यारो 
कृष्ण बिहारी नूर 

No house will be open it is late, night time. 
Come to tavern, it's door is open all the time