सब्रम ज़ रुख़त हकस्त आगाह कि नेस्त
मक़सूद मनी-ओ-जुज़ तू कस दर दिले-मन
वल्लाह कि नेस्त सुमा बा अल्लाह कि नेस्त
साक़ी ! तेरे ग़म से मुझको घबराहट, आह नहीं है
तेरे रुख़ की दीद के सिवा कोई भी तो चाह नहीं है
मेरा मक़सद केवल तू है औ' मेरे दिल में तेरे सिवा
वल्लाह कोई भी नहीं, क़सम मेरे अल्लाह ! नहीं है
O bar -girl ! I am not perturbed by your grief as such.
But for a look at your face, there's no relief as such.
My sole purpose is you, in my heart there's only you.
No one else is there, by God ! It's your sole fief as such.
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