Monday, 3 March 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई... साक़ी दिले-मन ज़ दस्त अगर ख़्वाहम रफ़्ता....

साक़ी दिले-मन ज़ दस्त अगर ख़्वाहद रफ़्त
बहर अस्त  कुजा ज़ ख़ुद  बद्र ख़्वाहद रफ़्त
सूफ़ी  कि  चूँ  ज़र्फ़  तंग  अज़  ख़ेश  पुरस्त
यक  जर्अः  अगर  रिही  बसर ख़्वाहद रफ़्त


साक़ी ये मेरा दिल , हाथ से जो निकल जाएगा
कहाँ जाएगा, ठोकरें खा के वो सम्भल जाएगा
सूफ़ी ज़रा कमज़र्फ़ है, कितना उसमें भरा ग़ुरूर
एक घूँट ही उसे पिला दो, और माँगने लगें हुज़ूर 

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