Thursday, 6 March 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई.... दर आलमे-ख़ाक पा शुदेमो-रफ़्त

दर आलमे-ख़ाक पा शुदेमो-रफ़्त
सद दुश्मन-दोस्त बर तुरा बुदेमो-रफ़्त
बा चू- ओ चिरः-ए-तू मरा कारे नेस्त
चन्दा. कि बदाश्ती बपा शुदेमो-रफ़्त


इस माटी के जग में सभी आए चले गए 
दुश्मन औ दोस्त भी कभी आए चले गए 
तिरे कैसे और क्यूँ से मुझे काम नहीं है
जिस जा रखा रहे अभी आए चले गए 


In this earthly abode, all came and left. 
In friend 'n foe mode, all came and left. 
I am unconcerned with your why' n how.
We bore a given load, all came and left. 


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