Saturday, 8 March 2025

उमर ख़य्याम की रुबाई....

आमद सहरे निदा  ज़ मयख़ानाः-ए-मा
काय़   रिन्दे-ख़राबाती-ए-दीवानः-ए-मा
बर ख़ेज कि पुर  कुनेम   पैमानः-ए-मय
ज़ाँ पेश कि  पुर  कुनन्द   पैमानः-ए-मा


कहीं से आई  सदा  सुब्ह सहने-मयख़ाना
अपना प्याला तो उठा रिन्द यहाँ पर आना
कर दूँ लबरेज़  तिरा जाम  मैं रंगीं  मय से
इससे पहले कि छलक जाए मिरा पैमाना


From inside tavern, emerged a sound.
Pick up your cup and be bottle bound.
Let me fill your cup with colourful wine
Before it is empty by splashes around. 


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