दर आलमे-बेवफ़ा कि मंज़िलगहे-मास्त
बिस्यार बिजुस्तेम ब कया से कि मरास्त
चूँ रू-ए-बू माह नेस्त रौशन गुफ़्तमं
चूँ क़दे-तू सर्वे नेस्त मी गोयम रास्त
ये आलमे-बेवफ़ा ही है जो मेरा ठिकाना है
अपनी क़ूवत से बहुत घूमा बहुत जाना है
चाँद रौशन ही नहीं है तिरे रुख़ की मानिंद
तेरा क़द सर्व को हासिल है कहाँ माना है
This infidel world is my sole abode.
I roamed 'n knew about every road.
Moon is never shiny like your face.
Your height! Sarv tree lost in mode.
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