ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते
Om ! PoorNamadah poorNamidam poorNaat poorNamudachyatey
PoorNasya poorNamaadaaya poorNameyvashishyatey.
मूल रूप सत को ही जान
यह है पूर्ण इसे पहचान
सत ही सदा रहा है पूर्ण
पूर्ण सत्य ही है परिपूर्ण
जो भी दिखता है इस स्थिति में
नामरूप उपजा है सृष्टि में
नामरूप को असीमित मान
जब लय हो तब भी पहचान
पूर्ण रह रहा फिर भी देखा
यही असीमित की है रेखा
घटे असीमित में असीम जब
रह जाता फिर भी असीम तब
ब्रह्म सत्य औ' ज्ञान अनन्त
व्याप्त अंश ले होहिं अनन्त
Transcreated by Ravi Maun
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